जाग जाती हैं आशाएं
सूरज की पहली किरण के साथ
के नई उम्मीद के साथ
नई शुरुआत जो करनी है-
shobha panchariya
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29 अगस्त को आई धरा पर
माँ पिताजी ने खुशियाँ मनाई
20 अप्रैल को दुल्हन बनी मैं
ख़ुशी के आंसू ... read more
माँ पिताजी ने खुशियाँ मनाई
20 अप्रैल को दुल्हन बनी मैं
ख़ुशी के आंसू ... read more
Joined 7 June 2020
22 JUL AT 23:45
22 JUL AT 23:40
माने न माने कोई, हम घायल हो गए
कुछ इस तरह हम तिरी ज़ेबाई के कायल हो गए
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22 JUL AT 23:39
माने न माने कोई, हम घायल हो गए
कुछ इस तरह हम तिरी ज़ेबाई के कायल हो गए
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13 JUL AT 19:34
सज गया बाज़ार दिल का,
तो खरीदार कई मिल जाएंगे;
नहीं मिलेगा तीमारदार दिल का,
मगर बीमार कई मिल जाएंगे;-
13 JUL AT 19:32
सज गया बाज़ार दिल का,
तो खरीदार कई मिल जाएंगे;
नहीं मिलेगा तीमारदार दिल का,
मगर बीमार कई मिल जाएंगे;-
13 JUL AT 13:15
दुनिया भर की खुशियाँ तेरे क़दमों में
रख दूं, तेरे ग़म भी मैं उठा लूं
जी चाहता है ऐ हसीं नाजनीन, मैं
तुझको अपनी ज़िन्दगी बना लूं
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12 JUL AT 19:57
तुम आ गए हो ज़िंदगी में
जैसे नूर आ गया है
शायद इसी बात का हमें
सुरूर आ गया है
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28 JUN AT 23:24
सींच कर पसीने की बूंद से
धरती को हरा-भरा करता हैं
वो किसान ही तो हैं ज़नाब
जो बंजर को सोना खरा करता हैं-