shobha panchariya  
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Joined 7 June 2020


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22 JUL AT 23:45

जाग जाती हैं आशाएं
सूरज की पहली किरण के साथ
के नई उम्मीद के साथ
नई शुरुआत जो करनी है

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22 JUL AT 23:40

माने न माने कोई, हम घायल हो गए
कुछ इस तरह हम तिरी ज़ेबाई के कायल हो गए

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22 JUL AT 23:39

माने न माने कोई, हम घायल हो गए
कुछ इस तरह हम तिरी ज़ेबाई के कायल हो गए

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13 JUL AT 19:34

सज गया बाज़ार दिल का,
तो खरीदार कई मिल जाएंगे;
नहीं मिलेगा तीमारदार दिल का,
मगर बीमार कई मिल जाएंगे;

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13 JUL AT 19:32

सज गया बाज़ार दिल का,
तो खरीदार कई मिल जाएंगे;
नहीं मिलेगा तीमारदार दिल का,
मगर बीमार कई मिल जाएंगे;

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13 JUL AT 13:15

दुनिया भर की खुशियाँ तेरे क़दमों में
रख दूं, तेरे ग़म भी मैं उठा लूं
जी चाहता है ऐ हसीं नाजनीन, मैं
तुझको अपनी ज़िन्दगी बना लूं

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12 JUL AT 19:57

तुम आ गए हो ज़िंदगी में
जैसे नूर आ गया है
शायद इसी बात का हमें
सुरूर आ गया है


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28 JUN AT 23:24

सींच कर पसीने की बूंद से
धरती को हरा-भरा करता हैं
वो किसान ही तो हैं ज़नाब
जो बंजर को सोना खरा करता हैं

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28 JUN AT 23:12

कितनी उलझ गई हैं ज़िंदगी,
जब से डिजिटल हो गई हैं

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28 JUN AT 23:09

कितनी उलझ गई हैं ज़िंदगी,
जब से डिजिटल हो गई हैं

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