औरतों की गप्पे
शाम से पहले
दोपहर के बाद
घर से बाहर
मोहल्ले के अंदर
बरगद के पेड़ के पास
छांव में
जमती है हर इसी वक़्त
औरतों की बैठक
छुटकी की भाभी
पिंटू की मामी
पड़ोस वाली आंटी
दादी और नानी
बैठती है औरतें
नई और पुरानी
दुख दर्द सुनाती है
सुनाती है अपने ही घरों के किस्से
पड़ोसियों की होती है चुगलियां
बांटती है अपने जीवन के हिस्से
दादी नानी सुनाती है अपनी ही कहनियां
सास सुनाती है बहुओ की
और बहुयें सुनाती है सासों की शैतानियां
बीच मे जोर जोर से ठहाके लगाए जाते है
भावुक हो अगर तो ,आँसुये बहाई जाती है
हां में हां मिलाई जाती है
बात बिगड़ी और बनाइ जाती है
बड़ी गौर से सुनी जाती है सबकी बातें
और इसी तरह चलती रहती है औरतों की गप्पें-
कपशप (संज्ञा/ क्रिया)- चाय या कॉफ़ी के कप के साथ साथ की जानेवाली गपशप।
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पूरे दिन गपशप ही करना
बिना बात के सबसे लड़ना
मम्मी पापा कुछ भी बोलें
पूरे दिन फ़ोन में ही लगना
दोस्तो को परेशान करना
बातों में बकवास ही करना
पार्टी में पहले ही खाना
दोस्तो को उलझाए रखना
सबके साथ मटरगस्ती करना
आलस में हरदम ही रहना
काम तो बिल्कुल नहीं करना
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चलो एक मुलाकात
करते हैं,
दो प्याली चाय
हम - तुम...
और बेहिसाब बातें..
बोलो मंजूर है जनाब ।।
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दिन भर के कामकाज के बाद
चलो दोस्तों मिलकर थकान मिटाते है
एक प्याली नुक्कड़वाली चाय के साथ
गपशप करतें हुए हंँसते हँसाते है-
पाँच सहेलियाँ आपस में मिल बैठीं
अब परेशान हैं कि बात क्या करें
क्योंकि सभी मौजूद हैं ।
😂😂😂😂😂😂-
बातों की महफ़िल में गुम हो जाते थे
साँझ ढलता और शहर भी चमक उठता
लेकिन दोस्तों की गपशप नहीं रुकता-
आने को है वो पल
जब साथ मिलकर
मच्छरों की भिनभिनाहट के बीच
अँधेरे में छत पर बैठे
मोहल्ले के चार यारों के साथ
गप शप होगी
और पूरी गली एक साथ चिल्ला उठेगी
मारे ख़ुशी से
बिना किसी दुराव छिपाव के
बच्चे, बूढ़े और जवान
....
लाइट आ गयी!!..
पर वो पल अब नहीं आता,
शायद अब सब लोगो के घर इन्वर्टर आ गए है!!-