महंगी चीजें गंदी क्यों होती हैं ये पता होता,
तो पापा में कभी गलती से भी जिद ना करता।-
मेरी आँखों को गौर से देखते हैं कुछ लोग
जब से तुझे आँखों में बसाया है
ये काला चश्मा यूँ ही नहीं लगाया जानेमन
तुझे कई गंदी नजरों से बचाया है-
हवा के झोंको से नजरें मिलाना
अब तो छोड़ दे तू ।
नजरे तेरी उसके पे गंदी या सही,
उसको उसके नजरिये पे
अब तो छोड़ दे तू ।।-
कोई जा रहा चाँद पर,
कोई गलियों -गलियों झांक रहा ।
किसी को अपना भविष्य संवारने की धुन,
कोई अपने भविष्य को दफना रहा ।
यह कैसा मनोरोग है ?
मेडिकल साइंस को भी,
इसका इलाज मिल नहीं रहा ।।-
घर-परिवार का मान रखकर
वो किसी और संग विदा हुई
तो तुमने उसे रंडी कहा
तुम्हारे तरह उसने कभी-कभार
हंसी-मजाक क्या कर लिया
तुमने उसे गंदी कहा
तुम्हारे प्रेम में पड़कर उसने
पार्कों में तुम्हें देह सौंपा तो
तुमने मेरी बंदी कहा-
बात जिस्म की नही मुझे तेरी रूह को पाना था।
आँखे गंदी नही थी मेरी तेरी रूह मेरा ठिकाना था।
बात जिस्म की नही मुझे तेरी रूह को पाना था।
निशा लवौ पर नही तेरे ना ही तेरे जिस्म को नोच खाना था।
मुझे तो बस तेरे दिल में बस जाना था।-
गंदी सोच और गंदी नियत दिमाग की होती है,
वरना जिस्म की बनावट तो
अपनी बहन की भी वही होती है !!-
भूमि अधिग्रहण के लिए
धर्म की गंदी राजनीति का इस्तेमाल
आज से नही ,
सदियों से चला आ रहा है।
रश्मि-
वो कहती थी,
अपना ख्याल रखना
मेरे जाने के बाद
में हँसकर कहा करता था
कहा जाओगी मुजे छोड़कर
में उस गंदी आदत की तरह हूँ
जिसे तुम चहाकर भी छोड़ नहीं सकती
अब इसे मेरा गुरुर कहो या यकीन
तुम हर पल साथ रहोगी साये की तरह
एक दिन रुखसत हो गई,उस खुदा के पास
अलविदा तक कहने का,मौका तक ना दिया तूने
साथ छोड़ गई, उन अंधेरी रातो में
मेरे साये की तरह
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