रश्मि सिन्हा   (रश्मि सिन्हा)
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Joined 22 December 2016


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Joined 22 December 2016

जब ठोस हकीकत भी,
मोहक नज़र आती थी,
स्याही भी---
इंद्रधनुषी रंग दिखा जाती थी,
अब तो सपने भी स्याह लगते हैं,
हकीकत, भयावह नज़र आती है.
रश्मि सहाय

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हक़ीक़त को भुलाने चले थे,
ये कैसी नादानी हम करने चले थे,
के ख्वाबों में जीना, सीख आने चले थे,
अच्छा हुआ तूने ख़्वाब तोड़ा ए ज़िंदगी,
दिखा दिए खुली आँखों से,
देखे जाने वाले सपने--
के परछाईं भी अपनी नही होती.
रश्मि सहाय

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ये जो नन्हे सितारे होते हैं,
बहुत प्यारे होते हैं,
छोटी-छोटी मीठी यादें होती हैं,
जिन्हें हम मुठ्ठी में समेट लेना चाहते हैं,
वो पल, जिन्हें हम हौले से खोलें,
और फिर जी जाएं--

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देना गर भगवन,
पुरानी यादें मत सौंप देना,
मुझे जीना है ,एक नया जन्म,
नई यादों के साथ❤️

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अंगारों पे लोटते हुए,
करवट बदलते हुए,
क्या, क्या सोचते हुए,
क्या तुम्हारी भी हालत मेरे जैसी है??

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कड़ी मेहनत और
परिणाम शून्य---
भविष्य की चिंता सताए जाती थी,
मुस्कान होंठों पर मुश्किल से आती थी,
आज मैं समर्थ हूँ,
कोई मेरा आत्मविश्वास हिला न पाता है,
सच है, अनुभव---
बहुत कुछ सिखाता है🌷

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बेफ़िक्री का वो आलम,
बात -बात पर जिद,
बेमतलब की हंसी,
आज भी बहुत याद आती है,
आंखे नम कर जाती है।
रश्मि सहाय

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बेफ़िक्री का आलम था,
सिर्फ़ खुद के बारे में सोचना था,
कितना हसीन वो आलम था,
अब तो सिर्फ़ मुस्कुराते हैं,
और बोझ ढोये जाते हैं---
कौन सा अपना? कैसा अपना??💐

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बुराइयों को बुरे दौर को,
अच्छाइयां तो आज भी,
यादों में मुस्कुराती हैं.

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कम्बख़्त अंगड़ाई और जम्हाई
अभी भी आये जाती है😯😜😂

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