रश्मि सिन्हा   (रश्मि सिन्हा)
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Joined 22 December 2016


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Joined 22 December 2016

भादों मौसम
प्रभु कृष्ण का जन्म
हरित मन।
रश्मि सहाय

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सूत का धागा
भावनाएं प्रबल
नम हैं आँखें।
रश्मि सहाय

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शायद कम सोचने से ही अधिक काम
करना पड़ता है। पहले दिमाग में एक खाका
तैयार करो काम का, तब कर्म क्षेत्र में उतरो।
रश्मि सहाय

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झूठी सहानभूति,
यूं सांत्वना देना, और दिल ही
दिल में मेरे हालातों से खुश होते जाना।
रश्मि सहाय

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ये कहना नहीं,
माना चोट गहरी है,
पर वक़्त भर देता है सारे ज़ख्म,
ज़िंदगी फिर मुस्कुराती है।
रश्मि सहाय

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ईमान को आजकल कोसते,
ईमानदार को देते धकियाए,
देख जाए झूठ को अगर,
वो अंत काल पछताए,
ईमान देता इक अच्छा फल,
भले देर से आए।
रश्मि सहाय

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कविता उलझती ही जा रही थी,
अल्फाजों की जकड़ से निकलना चाह रही थी,
एक दौर फिर ऐसा भी आया,
उसने खामोशी को अपनाया, ताज़्जुब है,
उस खामोश कविता को ,
हर कोई पढ़ पाया।
रश्मि सहाय

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बेबसी बाहर निकलती है ओढ़ चोला
क्रोध का।
रश्मि सहाय

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तो मुंह की खाओगे,
कहे देती हूं मैं,
सहने का ज़माना गया,
टिट फॉर टैट में ही उत्तर पाओगे।
रश्मि सहाय

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पर ये अपने हैं कौन?
जिन्होंने गुरबत में साथ छोड़ दिया,
या वो जिन्होंने,
झूठी सांत्वना दे मुख मोड लिया।
रश्मि सहाय

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