फुर्सत से हूं,
आंखों के आगे एक मासूम चेहरा ,
उभर आया है,
किताब से निकाल लिया है,
इक खूबसूरत गुलाब,
गुलाबी, प्यार का एहसास कराता सा।
रश्मि सहाय-
रश्मि सिन्हा
(रश्मि सिन्हा)
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लेखन व्यवसाय नहीं, पर हर विधा, कहानी ,कविता,
लेख लिखने का शौक, दो पुस्तकें प्रकाशित, उद्गार... read more
लेख लिखने का शौक, दो पुस्तकें प्रकाशित, उद्गार... read more
Joined 22 December 2016
4 HOURS AGO
19 OCT AT 20:09
आगे बढ़ती ही जाती है,
इस हाथ से उस हाथ,
सिर्फ़ प्रकाश ही फैलाती है,
फैला जाती है डोपामिन,
हर चेहरे को खुशी से उद्भासित कर जाती है।
रश्मि सहाय-
19 OCT AT 20:04
खामोशी तुम्हारी हो या हमारी,
हम सिर्फ़ खामोशी का अनुमान ही लगाते हैं,
बोल क्यों नहीं देते, जो चाहते हैं।
रश्मि सहाय-
19 OCT AT 20:01
काश! दिमाग छोड़ कर,
थोड़ी देर को बहक जाओ तुम,
गिल्ट नहीं बहकाएगा,
यादों में मुस्कुराएगा।
रश्मि सहाय-
17 OCT AT 11:32
अनेकों झंझावतों को झेलते,
अब सोच रहा हूं,
क्या खोया क्या पाया?
रश्मि सहाय-
17 OCT AT 11:29
इश्क़ की गोताखोरी औ ’ मय सा नशा,
डूब कर निकले तो भी ख़ुमार बाकी था।
रश्मि सहाय-