जान चुके थे, जब उसकी हक़ीक़त,
पर ये दिल बेईमान,
धड़कता ही रहा उसके नाम से,
गलत जगह दिल लगाया,
जो कहना न था, कह आया।
रश्मि सहाय-
लेख लिखने का शौक, दो पुस्तकें प्रकाशित, उद्गार... read more
एक बेहतरीन शुरुआत,
हर वर्ष मनाया जाना,
मोदी जी ने कर के प्रयास,
बनाया इस दिन को खास।
रश्मि सहाय
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इश्क़ और मुश्क छुपाए नहीं छुपते,
आँखें बोल जाती हैं गर जुबां न बोली।
रश्मि सहाय-
माँ
एक अद्भुत सत्य
प्यार, दुलार बरसाती हुई ,
कान उमेठने में भी छुपा हुआ प्यार,
पापा की डांट से बचाने को हरदम तैयार,
आज न जाने कहां चली गई हो, आओ फिर एक बार तो आ जाओ माथे पर हाथ फिरा जाओ
रश्मि सहाय
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कुछ हिला, शायद पलंग,
ओह! ये तो है भूकंप,
हड़बड़ा कर उठ बैठी,
शोर शराबा और पुकार,
सब के सब सोसाइटी में
बाहर , नीचे भागने की फ़िराक में थे यार।
रश्मि सहाय-
ये जो दूरी है,
विश्वास न कर पाने की मजबूरी है,
तुम मुझ को न समझ पाए,
इसीलिए तो पास होते हुए भी ,
दूर नज़र आए।
रश्मि सहाय-
नसीब के भरोसे बैठने वाले,
कर्म ही तेरा नसीब बनाते हैं,
करते ही कोई फल नहीं मिलता,
और हम नसीब के ऊपर डाल आते है।
रश्मि सहाय-