अज़नबी फिर भी वफ़ा देने लगे
ख़ून के रिश्ते दग़ा देने लगे
बुझ चली थी आग जो दिल में लगी
आप क्यों नाहक हवा देने लगे
खुद कुरेदा ज़ख्म को उसने मेरे
बाद में खुद ही दवा देने लगे
जो भुलाए थे बड़े करके जतन
याद आ कर क्यों सज़ा देने लगे
'दीप' रहने दे न तू मरहम लगा
दर्द सारे अब मज़ा देने लगे-
4 NOV 2019 AT 20:48
5 MAY 2021 AT 13:15
इतने
कमजोर नहीं
ये खून से बने रिश्ते,
जो ज़रा ज़रा सी बातों
पर दर–बदर बिखर जाए....
माना
कि नाराज़गी
बहुत हैं बस एक
गलतफहमी के वजह से पर,
खामोशी
में ये ख़ून के रिश्ते
और ही गहरे हो जाते हैं...!"-
16 OCT 2020 AT 21:00
दौलत और शौहरत की बड़ी बिमारी लगी हुई हैं सबको।
ज़िसके इलाज में खून के रिश्ते तक खर्च कर दीये।-
4 DEC 2017 AT 11:22
आजकल रिश्ते कहाँ खून के सगे होते हैं।
मेरी हर बर्बादी के पीछे, मेरे अपनों के ही हाथ लगे होते हैं।-
30 MAY 2017 AT 12:41
किसी अंजान रिश्ते पर इंसान करे यक़ीन कैसे ..
आज कल तो खून के रिश्ते ही खून कर देते हैं-
4 DEC 2017 AT 11:54
क्या शिकायत करूं खून के रिश्तों से,
की शिकायतों का हुनर सीखा
खून के रिश्तों से,,-
22 JAN 2022 AT 7:47
निभाना खून के रिश्ते कोई आसान नहीं होता
गुजर जाती है जिंदगी खुद से लड़ाई में-