एक इतिहास रचा गांधी ने, अहिंसा से आजादी का।
एक इतिहास रचेंगे हम भी, हथकरघा व खादी का।-
सड़क, नाली, बिजली शिक्षा और स्वास्थ्य,
अमां छोड़ो तुम तो खादी का कलफ़ देखो!-
ओ नेता तेरा नाता, किसी से ना होता
तू नेता नहीं, है अभिनेता, तू देता नहीं बस लेता
तू बातें करता है बस लात खाने की,
कुर्सी में बैठे सोचे तू, सबको डुबाने की।
तू नेता है तेरी चाहत है, वोट में या फिर नोट में
चोर है तू रखवाला बना खादी कपडे की ओट में।-
जिस खादी का चलन गांधी ने देश बचाने के लिए किया था ,
वही खादी आज अपने वतन को चबाने में लगी है यारों ....-
विकास दूबे के एनकाउंटर से खादी और ख़ाकी दोनों के काले चेहरे बेनक़ाब होने से बच गए।
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हिन्दू नाम से घृणा, बैर गाँधी की खादी से हैं
क्या तुम्हारा भी रिश्ता आतंकवादी से हैं |-
देश नहीं मिटने देंगे,
वो सौगंध मां की खाते है...
वादें लम्बे-लम्बे करके,
वो रोज मदिरालय जाते है...
पहन खादी का अमलीजामा,
वो देश-प्रेम दिखाते हैं...
जब हुई जरुरत माटी को,
तो वो कहीं नजर ना आते हैं...
जब नहीं जज्बा-ए-देशप्रेम,
तो वो क्यों अपने को देशप्रेमी बतलाते है...
जब पुछ लिया शहीदों के परिवार का हाल,
तो वो ज़बान से क्यों हकलाते हैं...
हुये चुनावी सभा जोर की,
तो वो वहां समय से पहुंच जाते है...
आग लगी हो तन में भुख की,
तो वो वहां क्यों नहीं पहुंच पाते है...
फितरत देखों है गिरगट-सी,
ये युं ही नेता नहीं बन जाते है...
चला वोटों की चुनावी भट्टी,
वो वादों के ख्याली-पुलाव पकाते है...
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आँखों से बेपर्दा किया जब उसने..
तो ये खादी ओढ़ मैं छुपाऊ क्या..-