शाम होने को आई है
मौसम ने भी ली अँगड़ाई है
आज फिर दोस्तों ने तबाही है मचाई
एक ने है कहा की आज जीत की बारी है मेरी
चाहे आज हो जाए कितनी भी देरी
स्ट्राइकर ले आज फिर कैरम
बोर्ड पर दोस्तों ने मचाया है धमाल
कभी कभी जीतने वाली लड़की ने
आज दिया है सबको मात,
पड़े हैं सब सोच में की कैसे हो गया ये कमाल
आज फिर बड़े दिन बाद दोस्तों की
नोक-झोक ,जीत -हार की आवाज़ छत से है आई
लगता है सबने कैरम बोर्ड की गोटीयाँ है बिछाई-
मैं कबड्डी दोहराता आऊंगा
तुम मुझे पकड़ने आना,
मैं छू कर तुम्हें 'बर्फ़' कहूँगा
तुम वहीं जम जाना,
बहुत हुई है आँख मिचौली
अब तो सामने आओ,
होते हुए सारे कोनों से
तुम मेरे घर भी आओ,
भाग जाना पिट्ठू तोड़कर
मैं फिर से उसे बनाऊंगा,
तुम 'म' से मुखड़ा गाना
अंतरा मैं सुनाऊंगा,
मैं कुछ ग़लत लिख दूँ तो
तुम रबड़ बन के मिटा देना,
मंज़ूर हो ये खेल तुम्हें तो
'कवर' से 'क्वीन' मिला देना..-
सारे राज सुरक्षित दिल की तिज़ोरी में,
हँसें,खेलें न थकें दिन भर की भागा दौड़ी में,
जीते लूडो औ कैरम में,तो हारे आँख मिचौली में
तेरी यारी के सदके ,हम रहे हमेशा टोली में...
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कौन सी गोटी कहां बैठी है.
कहां सीधे निशाना लगाना है, कहां एंगल बनाना है.
कितना पाउडर बिछा है, कितना जोर लगाना है.
तभी क्वीन-कवर हो पाएगा.
कैरम खेलने में तभी मजा आएगा.-
गर्मियों की छुट्टियां गुजरती थी
"कैरम" "लूडो" और "सतरंग" की गोटियों के साथ !!
भाई बहनों से लड़ते झगडते शोरगुल और बेफिक्री के साथ!!
अब तो गुजर जाती है ये दोपहरी भी बड़ी ही खामोशी के साथ !!-
कैरम
रिबाउंड से,
रानी,
हो गई,
हमारी,
बिना,
सीधे स्ट्राइकर,
की चोट के।
अनुज 'अनहद'-