तेरे लिए कुछ यूँ खुल गया, की अब बंद करना कुछ मुश्किल सा हो गया, ऐ रबा यह क्या आज मुझे हो गया, उसके नूर मे मै कैसा खो गया, लगता है इश्क सा उस से हो गया , तभी तो दरवाजा-ऐ-दिल उसके लिए खुद खुल गया.....!!
ऐ कमरे मेरे साथी तुझसे क्या छुपा है, मेरे दिल का हर हाल तुझे मालूम है, मेरे आँखो से छलके हर आंसूं का हिसाब तेरे पास है, ऐ कमरे मेरे साथी तुझसे क्या छुपा है ।