रिश्ते!
आह!
तितली से नाज़ुक वही होते है
जिनमें सच्चे भाव होते है...
-
अभिमान के कुँए, अब सागर हो चले हैं,
मेंढकों के मुग़ालते, आसमानों पर हैं!-
"आप ही श्रेष्ठ हैं"
यह आभास
बनाए रखना चाहें
तो
अपने कुए से
बाहर ना निकलें।।
🐸 नो टेंशन 🐸-
✨लेखों का महत्व✨
पहले लगता था कि
जान जीवों में होती है।✨
मुझे तो अब लेखों में भी
जान दिखने लगी हैं।✨
बात कभी सुनकर समझते थे,
अब पढ़कर भी समझने लगे हैं।✨
ये लेख अब बातें, दिल नहीं,
सीधे मन में लिखने लगे हैं।✨
लेखकों एवं कवियों ने लिखने में कोई
कसर न छोड़ी तो लेखन आम हो गया।✨
कईयों ने इतना भी लिखा कि उन्हें पता
न चला कब सुबह, कब शाम हो गया।✨
अब तो लेख, खबरों का एक बड़ा जरिया है,
दुनिया दिखाने का इसका अपना नज़रिया है।✨
सुबह सुबह अखबारों की प्रतीक्षा साधारण है,
वृद्ध जनों एवं बच्चों की उत्सुकता, उदाहरण है।✨
सोचिए जरा, यदि लेख न होती तो क्या होता,
न होता अखबार, न होते कोई धर्म ग्रंथ।✨
गरीबों को टीवी नसीब नहीं है, ऐसे में यदि
इतिहास न होती तो वे कूप मंडूक ही रहते जीवनपर्यन्त।✨-
कुएं का हर मेंढक कूपमंडूक
नहीं होता यदि उसके अपनों को
उसकी छलांग पर एतराज नहीं होता।-
पुरुष, प्रेम और एकाधिकार का एक ऐसा मेल होता है कि स्त्री उसके पिंजड़े में जकड़ी हुई स्वयं को स्वतंत्र मानने लगती है.
-
भक्ति हेतु विष है,अंधभक्ति में बह जाना
कुपढ़ होने से बेहतर है अनपढ़ रह जाना-
कुंए के मेंढकों को पानी से सनी दीवारों पर अपने अहंकारी प्रतिबिंब के सिवा कुछ और नहीं दिख सकता हैं। स्वयं के सीमित मात्रा को व्यापक कह देना उनकी अद्भुत कला हैं!
-
आधुनिक कहलाते हो तुम
कूपमंडूक मात्र अब तक तुम
विटामिन,वैक्सीन,इंसुलिन ,
ए-क्सरे ,सेल ,हार्मोन ।
तुमने आविष्कार किया ।
मौत से जीते तो नहीं ।
वह आज भी सौ प्रतिशत ही ।
जो भी जन्मा है मरेगा ही
फिर घमंड कैसा ?
भगवान से आगे निकल जाने
की होड़ कैसे ?-