नन्हीं क़लम   (नन्ही क़लम ज़मीर)
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Joined 12 April 2018


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13 MAY 2023 AT 13:29

खुली आँखों से एक बड़ा ख्वाब देख लिया मैनें
आसमानों पर खुद का असबाब देख लिया मैंने
ये नज़रिया झूठ लगता है लग ही क्यों जाए,पर
मेहताबों से जलता आफ़ताब देख लिया मैंने
बचपन से सिखाया की अपनों को अपना कहो
पर,खुशियों से मचलता एहबाब देख लिया मैंने
किताबे अदब जेब मे रखकर खूब ज़हीन हुए वो
पर उनकी ज़ुबाँ पर रक्खा तेजाब देख लिया मैंने
ख़ुशबू के लिए लगाया था जिसे अपनी क्यारी पर
चोट देने वाला वो कांटों भर गुलाब देख लिया मैंने

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5 JAN 2023 AT 12:27

बे वजह खुद से होती जिरह वो है,
शहर को न छोडने की वजह वो है
ऐब तो हज़ार पाले है मैनें लेकिन,
मेरी एक बुरी आदत की तरह वो है

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4 JAN 2023 AT 12:25


खुली आँखों से कुछ बड़े ख्वाब देख लिए हमनें
आसमानों पर अपनें असबाब देख लिये हमनें
शायद हमारा नज़रिया झूठा लगे तुमको,पर
मेहताब से जलते आफताब देख लिए हमनें

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15 AUG 2022 AT 23:47

ज़िन्दगी में नयापन हमेशा अच्छा नही रहता
बदलना मत खुद को कोई अपना नही रहता

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15 AUG 2022 AT 23:34

रात बीत रही थी, और चाँद ढलता जा रहा था
मेरा दिल भी अंदर ही अंदर जलता जा रहा था
मेरे खास लम्हे भी वो मुझसे चुराने लगा है
शायद ये वहम भी मुझमें पलता जा रहा था
ख़ता नज़र की रही थी या नज़रिये की ख़ता थी
बस मैं भी अश्क आंखों से निगलता जा रहा था
वो तरक्की की सफेदी मुट्ठी में कस के बढ़ा,पर
मैं कल की कालिख चेहरे पर मलता जा रहा था
वो निकला नए रास्ते पर, चाहत थी नई मंज़िल
मैं कमज़र्फ ठहरा, बेमन्ज़िल चलता जा रहा था

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15 AUG 2022 AT 7:23

जिसकी पैदाइश हुई यहाँ है, वो बड़ा ही किस्मत वाला है,
गुस्सा कितना हो चाहे पर यहाँ हर कोई बड़ा दिलवाला है
जलने वाले जल जाएं लेकिन उनको आज बता दे हम
परचमे तिरंगा सदा बुलन्द है,और मर्तबा मुल्क का आला है

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21 JAN 2022 AT 13:23

आज जब पुरानी डायरी खोली,
तो कुछ ख़्याल
ऐसे उड़ कर बाहर निकल आये,
जैसे अरसे से बंद हो,
वो ख्याल थे कि जिन लोगों
को एक वक्त के
बाद बिछड़ ही जाना है,
वो मिलते ही जाते है...

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14 NOV 2021 AT 8:14

ये मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दुख है, कि
जिन्हें सुनकर, पढ़कर
आप आनंद ले लेते हो ना,
असल मे वो सभी, मेरी ज़िंदगी में
कोई किरदार हुआ करते थे....

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7 MAY 2020 AT 2:08

पीड़ा पाई देह को
नवमासा वो मुरझाई थी,
अपनी देह से जीवन देकर
उसने ममता पाई थी,
जन्म दिवस वो अंतिम दिन था
जब मै रोया और मैया मेरी मुस्काई थी।

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27 DEC 2021 AT 9:01

कल हम क्या थे इस बात से कोई फर्क नही पड़ता,
बल्कि कल हम क्या बनेंगे, ये मायने रखता है।
क्योंकि फल की पहचान उसके कच्चेपन में नही,
उसके मीठे स्वाद में होती है...।

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