RITUMBHARA Bhardwaj   ("बेख़बर"©)
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Joined 4 December 2017


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28 FEB 2022 AT 21:46

अब सारे मौसम मुझे,
लगते हैं एक जैस से!!

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3 SEP 2021 AT 0:19

सितम ये है कि...
ज़िन्दगी की बेवफाई का गिला
अब हम किसे करे!!!!
जब मौत ही खुदगर्ज़ निकले।

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21 MAR 2021 AT 19:32

फटी हुई जीन्स को सील भी सकते हैं
लेकिन!!.. फटी हुई सोच का क्या करें??🤔

!! सोच में मोच!!

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21 MAR 2021 AT 17:51

चरित्र-चित्रण का दौर शुरू हुआ है,
विज्ञापन वाली दुनिया में..
अपनापन भूलें बैठे हैं सब!!

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2 MAR 2021 AT 20:30

झुकी सी नज़र में एक ख़्याल हैं!
पलको की दहलीज़ पर तेरा ही इंतज़ार है!!!!

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13 FEB 2021 AT 16:51

बेख़बर हूँ ख़ुद से या ..
हालातों से ख़बरदार हूँ!!



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16 JAN 2021 AT 10:59

कुछ चीजों के लिए किस्मत नहीं, काबिलियत का माप होता हैं।

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10 JAN 2021 AT 20:59

आस नहीं !! कयास छोड़ दी और..
कुछ चीजों की तलाश छोड़ दी है।।

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6 JAN 2021 AT 20:05

जो फूल खिला नहीं, वह फूल
खुश्बू बिखेरे हुये चहुओर।

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5 JAN 2021 AT 9:28

हैं हर वक्त वो मुझमें उलझा-सा,
मेरी हर लफ्ज़ में लिपटा-सा..

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