लफ्ज़ों और लहज़ों का ज़रा लिहाज़ रखना,
कई मसखरों को खुद मज़ाक बनते देखा है मैंने!-
Foodie,Aquarian!
चलो बांट लें इश्क़ की जिम्मेदारियां,
तुम तारीखें याद रखना,
मैं लम्हों का हिसाब रखूंगा!!-
शौक ही बनाना मुझे,
आदत न बना लेना,
किस्से सा ही रखना,
हिस्सा न बना लेना,
मुसाफ़िर सा हूं,
ठहरता नही ज़्यादा,
सराय इक बनाना,
दिल के कोने में,
भूल से कहीं वहां,
मेरा 'घर' ना बना लेना!— % &-
कंधों से ज़मीं, कभी ज़मीं से कंधों पर,
सफ़र-ऐ-ज़िंदगी, बस इतना ही तो है!-
क़ुर्बानी और विसर्जन,
काश ये इंसान,
अपने द्वारा पाले हुए,
और सर पर बैठाये हुए,
अहम का भी कर पाता!-
છાપા જેવી આ જિંદગી,
સુખ અને દુઃખ ની ખબરો એમાં સમાયેલી હોય,
સમય વીતે, તો એની જરૂર પણ બદલાવી જાય,
શરીર ના જેમ, મહત્વ પત્યા પછી,
પસ્તી માં વેચાયી જાય!-
सिसकियाँ निकलवाने को भीख मांगता है,
जिस्म वो भभक जाने को आग मांगता है,
दरिया किनारे के पेड़ों की तरह फड़फड़ाता है,
सफेद सूत की चादर में तूफान कोई जागता है,
समतल हो जाता है तब हर उभार गहराई में,
बवंडर हवस का जब नस नस में भागता है,
नमक के सैलाब में गोते लगाते हैं जज़्बात,
धधकते लम्हों के घूंटों से प्यास बुझाती है रात!
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ખમણ જેવું આ જીવન,
સંસ્કારો નો લોટ
પ્રેમ નો તડકો,
હાસ્ય ની ખટાશ,
સંતુલિત ક્રોધ ની ચટણી,
ઉપર વિવેક ના ધાણા નો શૃંગાર!
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सर्द सी ये हवाएं,जब कभी हलके से ठिठुरा जाती है,
जबरन स्वेटर पहनाने वाली माँ की वो झिड़की,
बहुत याद आती है।
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