आज का दिन- सुबह के नौ बजते ही
वही खामोशी और दर्द फिर से लौट आया।
कभी कल्पना भी नहीं की थी कि कोई लम्हा,
कोई सुबह,
इतनी बेचैनी से दिल को घेर लेगी कि
सांसों में भी खालीपन रह जाएगा।
आप मुझे अपने घर बहुत प्यार से लाए थे।
वो हर मुस्कान,
वो छोटी-छोटी बातें, अब हर याद में सोने की तरह चमकती हैं।
आपने कभी मुझे सिर्फ बहू नहीं माना -
आपने मुझे दोस्त बनाया, समझा, सहारा दिया; आपकी हर सलाह में समय की लंबी
मांग होती थी लेकिन अब तो वहीं सही लगती है,आपकी हर हँसी में घर था।
मेरे सपनों की ऊंची उड़ान को सिर्फ आप ही तो भरते थे।
कभी-कभी लगता है अगर आप पास होते तो हर कमी, हर टूटन कुछ पल में भर जाती।
पर आपका न होना एक ऐसी दरार है जो हर खुशी में झुरझुरा कर दिख जाती है।
मैं हर उस घड़ी को याद करती हूँ जब आपने मेरे हाथ थामे, जब आपने मेरे सपनों को पंख देने का प्रयास किया, मेरी सफलता से आपके चेहरे पर गर्व की मुस्कान आती थी।
और बहुत कुछ होने के बाद जब आप कहते थे - सब ठीक होगा।
उन पलों की गर्माहट आज भी ठंडी यादों में ढूँढती हूँ।
वक्त जा रहा है, पर आपके बिना हर खुशी अधूरी सी लगती है; आपकी कमी से जो खालीपन बना है, वो कोई भर नहीं सकता।
ईश्वर से बस एक ही दुआ है जहाँ भी आप हो, वहां अनंत सुकून हो; जो कुछ इस जीवन में आपको न मिला, वो अब आपको मिले।
आपकी बातें आपका ममत्व बहुत याद आता है,
बहुत याद आते हो पापा जी।-
मेरे द्वारा लिखी गयी अभिव्यक्ति निष्कर्ष नहीं है,
जो भी मेरे जीवन मे घटि... read more
सर्वप्रथम माँ ही जीवन की प्रथम गुरु होती हैं,
जो अपनी ममता और त्याग
से हमें संस्कारों का बीज देती हैं।
पिता वह गुरु हैं जो हमें संसार
से परिचित कराते हैं,
संघर्षों में खड़ा रहना और
सच्चाई के साथ जीना सिखाते हैं।
एक कन्या जब ससुराल आती है
तो उसकी सास उसके लिए
नई राहों की गुरु बनती हैं,
जो उसे जिम्मेदारियों और
नए रिश्तों का अर्थ समझाती हैं।
और ससुर अपने आशीर्वाद
और अनुभव के साथ जीवन
के सबसे बड़े गुरु बनते हैं,
जिनके साए में मार्गदर्शन,
शक्ति और स्थिरता मिलती है।
यही चार स्तंभ हैं जो एक स्त्री
के जीवन को आकार देते हैं
और उसे पूर्णता की ओर ले जाते हैं।-
तुम क्या खोजते हो आकाश में,
अपने अंतर्मन के विचारों की अनदेखी तस्वीरें,
मन की गति सी बनती बिगड़ती वो तस्वीरें कितनी कहानियां गढ़ती जाती है,
और तदनंतर फंस जाते है
कालचक्र की क्रियाओं में...-
आवरण के भीतर से झांकने लगा है प्रेम
ज़ोर से चीख रहा
कहता है महसूस करो न
पोखरों के ऊपर बिखरे कमल के पत्तों को
और उन पर बिखरी कुछ बूंदे
....
जो महसूस हुआ न
वही प्रेम...-
जीवन में एक ऐसा मित्र अवश्य रखे
जो आईना हो आपका...
शरीर के हर एक अंग की वैधता और सहन करने की सीमा है...
एक मित्र आपको जिंदगी के बड़े हादसों से बचा सकता है।-
लड़की की किस्मत और काबिलियत उसकी शादी के बाद पता चलती है
जबकि लड़के की उसके पिता के विदा होने के बाद...-