पंकज दिवाकर   (पंkaj दिwakar)
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Joined 20 June 2019


Joined 20 June 2019
19 SEP 2021 AT 21:54

जिंदगी कोहरे में है ,या खुद मैं कोहरा हूं ।
ये कोई पहेली है, या खुद मैं पहेली हूं ।

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18 SEP 2021 AT 13:17

मैं फ़कीर हूं ,
मुझसे दुआ मांग रहा है !
क्या दूंगा धुल और फकीरी !
धुल मिली तो झाड़ नहीं सकेगा  !
फकीरी संभाल नहीं सकेगा !
तो जी अपने शर्तो पर ,
क्या रखा है यूं हाथ फैलने में ,
मिलेगा भी तो क्या मांगने से ,
जो छोड़ दिया भोग के !
तो उछाल खुद को अनंत फिजा में ,
दोनो बाहें खोल के ,
भर ले जी भर के ,
जितनी हैं शून्य इस जहान में l
अगर रख न सकेगा तो !
दे देना दान ,
भिखारी बहुत है ,
जिन्हें चाहिए भीख और भीख ,
दुआ में ...।

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18 SEP 2021 AT 13:04

ये उदास सफ़र ,
किसी तलाश में नहीं ,
दूर खुद से जाने को है।
रुक गयी सांसे मेरी ,
यादों की पहेलियों में,
अब उनसे दूर जाने को हैं ।

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13 SEP 2021 AT 19:57

लौट चलो ,
जिंदगी इंतजार में है ,
तुम किसी और के खयाल में हो ।

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11 SEP 2021 AT 13:06

तुम मज़बूरी नहीं ,
आदत हो गई हो ।
कभी ख्वाब थे तुम,
हकीकत हो गई हो ।

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प्यार अगर मतलब समझाने लगे खुद का ।
तो वो प्यार नहीं कुछ और हैं ।

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जिन्हें तुम्हारे लाखों सवाल का मतलब पता हैं ।
और एक तुम हो,
जिन्हें खुद का हिसाब तक नहीं पता ।

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दिमाग ज़हर ...
साथ रहा नहीं जाता ,
खुद को ही पीया नहीं जाता l

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शहर में धड़कन चुराने ,
हमउम्र दबे सांस आया है ।

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27 AUG 2021 AT 13:09

कोई अपना ही तोड़ ले जाता हैं ।

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