जिंदगी कोहरे में है ,या खुद मैं कोहरा हूं ।
ये कोई पहेली है, या खुद मैं पहेली हूं ।
-
पंकज दिवाकर
(पंkaj दिwakar)
97 Followers · 6 Following
Joined 20 June 2019
19 SEP 2021 AT 21:54
18 SEP 2021 AT 13:17
मैं फ़कीर हूं ,
मुझसे दुआ मांग रहा है !
क्या दूंगा धुल और फकीरी !
धुल मिली तो झाड़ नहीं सकेगा !
फकीरी संभाल नहीं सकेगा !
तो जी अपने शर्तो पर ,
क्या रखा है यूं हाथ फैलने में ,
मिलेगा भी तो क्या मांगने से ,
जो छोड़ दिया भोग के !
तो उछाल खुद को अनंत फिजा में ,
दोनो बाहें खोल के ,
भर ले जी भर के ,
जितनी हैं शून्य इस जहान में l
अगर रख न सकेगा तो !
दे देना दान ,
भिखारी बहुत है ,
जिन्हें चाहिए भीख और भीख ,
दुआ में ...।
-
18 SEP 2021 AT 13:04
ये उदास सफ़र ,
किसी तलाश में नहीं ,
दूर खुद से जाने को है।
रुक गयी सांसे मेरी ,
यादों की पहेलियों में,
अब उनसे दूर जाने को हैं ।-
11 SEP 2021 AT 13:06
तुम मज़बूरी नहीं ,
आदत हो गई हो ।
कभी ख्वाब थे तुम,
हकीकत हो गई हो ।-
8 SEP 2021 AT 20:22
जिन्हें तुम्हारे लाखों सवाल का मतलब पता हैं ।
और एक तुम हो,
जिन्हें खुद का हिसाब तक नहीं पता ।-