विवाह तय करते समय लड़की के माता पिता केवल लड़के की पोजीशन ना देखें, बल्कि लडक़ी और लड़के को पर्याप्त समय देकर, उनकी counseling कराकर ये देखने का प्रयास करें कि उन दोनों के विचार आपस में कितने मिलते हैं?
यदि उन दोनों के विचार आपस में ना मिलें तो ऐसी स्थिति में उनका विवाह ना करें। क्योंकि बेमेल विवाह जीवन भर कष्टदायी होता है।-
अनहोनी होती रही, भय संशय का राज।
नर पिशाच क्यों बन रहे, मंथन करे समाज।
कुंठित मन माता पिता, बेटी मन भयभीत।
कैसी विधना ने रची, रीत हुई विपरीत।
प्रीति
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कई बार हम उन लोगों के लिए
जी तोड़ मेहनत करते रह जाते है
जो आश्रित तो हम पर है पर उनके
लिए हम महत्वपूर्ण नहीं है,,,
जिंदगी की इस खींचतान को हम
नाम देते है 'फर्ज' का....
पर क्या हम उन लोगों के लिए कुछ
पल खर्च करते है जो चुपचाप से
बिना किसी आशा के, निस्वार्थ से
टकटकी लगाए रहते है सिर्फ और सिर्फ
हमारे सानिध्य के लिए? Hmm
उनके लिए हमारी मुस्कान सबसे ज्यादा
महत्वपूर्ण है उनके जीवन मे...
जो शायद हम पर स्वतंत्र आश्रित नहीं है
पर 'प्रेम' उनका आश्रित है हम पर..
अब फर्क हमें ही समझना है की हमारा 'फर्ज'
किसका 'कर्ज' उतार पाएगा?
सोचे plz एक बार...-
था विशेष बचपन ही, अब मैं सामान्य हो गया हूँ
वो कौतूहल नही अब, समाज को मान्य हो गया हूँ
क्योंकि मैं सामान्य हो गया हूँ,,,,,,
मैले चीथड़ों में इंसान, जो अंतरात्मा को चुभते है
लाख सामने हो वो, अब मुझ को नही दिखते है
क्योंकि मैं सामान्य हो गया हूँ,,,,,,
हो नन्हे फैले हाथ चाहें, मन कुंठित नही होता
देखकर अब ये दृश्य, मेरे भीतर कोई नही रोता
क्योंकि मैं सामान्य हो गया हूँ,,,,,,
दिल मिले न मिले, अब हाथ सबसे मिलाता हूँ
मुस्कुराहट ना आए, फिर भी मैं मुस्काता हूँ
क्योंकि मैं सामान्य हो गया हूँ,,,,,,
ढकोसलों से, आडंबरों से, कुंठा से भर गया हूँ
ये मौन क्यों कहीं शायद, अंदर ही मर गया हूँ
क्योंकि मैं सामान्य हो गया हूँ,,,,,,-
घबराहट सी होती है
अकुलाहट सी होती है
कभी किसी कारणवश
कभी अकारण ही
बंद पिंजरे में
फड़फड़ाते पंछी सी
खुला आसमान जिसे
लगातार पुकारता सा
प्रतीत होता है
किंतु
बंधन तोड़ पाना
उसके वश में नहीं
और इस कुंठा से
मुक्ति का
कोई हल नहीं....
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🐝कुंठा, निराशा और अवसाद का मतलब है 🐝
🌾कि आप अपने खिलाफ काम कर रहे हैं.🌾-
गलती तेरी थी या मेरी, दो पल बैठ, सोच ले
ज़ख्म दिए हैं इश्क़ में तूने, चंद तू भी खरोंच ले
और बेवफाई करके, जब तू महफिल में वफा सिखा रहा हो
बस इतना करे कोई, जाकर तेरा मुँह नोच ले...
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एकाएक जिंदगी बेरंग सी लगने लगी है
और मन कुंठा से ग्रस्त सा हो गया है!
भावनाओं में एक अजीब सा
भूचाल उत्पन्न हुआ है,,
व्याकुल मन शांति को तलाश रहा है..
पर मैं उसे एकाग्रचित्त नहीं कर पा रहा हूँ!-
कुंठा अक्सर डर - डर कर जनम लेती है ,
और अधिकार पूरे जीवन पर कर लेती है ।
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