आदमी - आदमी से मिलता है ,
दिल कम जिस्म ज्यादा मिलता है|
भूल जाता है पिछली मुलाकात को,
फिर वही कर्मकांड करने को मिलता है|
भूख ज्यादा बढ़ रही है अब ,
इश्क़ पानी से कम खून से ज्यादा मिलता है|
फूल भी मुरझा जाते हैं प्रेमियों के हाथों में,
इस तरह का इश्क आजकल भरपूर मिलता है|
दुकानदार हो गए हैं या फिर भाड़े पर आता हैं,
इश्क में फसाने वाला सरेआम नजरें मिलाता है|
"सुशील" प्रेमियों के हाथों में गुलाब नहीं मिलता,
मिलते चाकू छुरी जिंदगी भर साथ नहीं मिलता है|-
मैंने कब कहा
में नास्तिक हूँ
मुझे दिखावे से परेहज है
कर्म-कांड नापसंद है-
★आज का कुविचार★
जवानी भर धर्मकांड में लगे रहने वाले ही
बुढ़ापे में कर्मकांड करते है
😂😂😂😂-
एक वो थे जो
कर्मकांडों में ही पड़े रहे,
हमने दूसरों को ख़ुशियाँ देकर
मोक्ष प्राप्त कर लिया।-
वचन का अनुगामी कर्म हो..
और
कर्मकांड का अनुगामी चिंतन हो..
आँखे मूँद महाभारत तो हो जाएगी
बुद्धि मूँद भगवान की भक्ति न हो पाएगी..
..-
मैं एक पैग़ाम लिखते जा रहा हु
जो सुनी हो पहले वो दास्तान सुनाते जा रहा हु
उगते सूरज की रोशनी में नहाना तो है लेकिन घने बदलो को हटा नही सकते
प्यार तो हम सबसे चाहते है लेकिन अपने द्वेष को मिटा नही सकते
ख्वाहिशे तो आसमानो की है पैर जमीन पे जखड़ाए जा रहा हु
जो सुनी हो पहले वो दास्तान सुनाते जा रहा हु .......।।१।।
सर झुकाया हर मंदिर मस्जिद काबा काशी, मिला नया कोई संत
मूर्तियों का बाज़ार बना के खड़ा है दुनिया का हर एक पंथ
देख लिया संसार का हर एक कोना, भीतर देख न पाया ऐसा मैं अंध
मैं तो खुद से ही दूरी बढ़ाए जा रहा हु
जो सुनी हो पहले वो दास्तान सुनाते जा रहा हु .......।।२।।
संजोया था हर एक सपना प्यार का, मिला हर पल जंजाल का
हर पहेली का समाधान मिला तो सिर्फ और एक पहेली
अपने कर्मो से जुदा हो के आजमाता नसीब दिखाके हथेली
मैं तो राशि से ग्रहों को हटाते जा रहा हु
जो सुनी हो पहले वो दास्तान सुनाते जा रहा हु .......।।३।।-