औरतों के लिए कोई वर्त नहीं होता,
फिर भी लंबी उम्र जी लेती हैं
प्रेम राधा सा करती हैं,
और विष मीरा सा पी लेती हैं-
अरे मुझसे रूठकर ये मस्तियाँ किधर जाएंगी
रूठ भी गयी तो मेरे किरदार में नजर आएंगी
सच में हमदर्द नहीं सब सरदर्द नजर आते हैं
ये अपना कहने को तुम्हें कतारें नजर आएंगी
तुम्हारे शहर में कितने डाकिया नजर आते हैं
खत नहीं लिखा तो वफ़ाएँ कैसे नजर आएंगी
देखो दिल के दरिया बड़े वीरान नजर आते है
बरसात के बिना हरियाली कैसे नजर आएंगी
मेरे सपनों में तेरे होंठ मधुशाला नजर आते हैं
तू जुबां खोले तो मुझे कविताएं नजर आएंगी
"कपिल" वो आजकल रूठे हुए नजर आते है
दे इजाजत तो गुस्ताखीयाँ ख्वाब नजर आएंगी-
मौसम है आया आज प्यार का,
इंतजार है दीदार-ए-चांद का,
पिया मिलान की रात का
रूप दिखेगे आज दो-दो चांद का !!🌛-
ये सुहाग की बिंदिया
दमकती रहे
सजो लाल जोड़े में ,
पहनकर चूड़ा
ये सौभाग्य सिंदूर
दमकता रहे
अखण्ड सुहाग तुम्हारा
बना रहे
सिंदूरी आभा चेहरे की
निखरती रहे
आसमान के चांद से रौशन रहे
तुम्हारे चांद की चमक..
यही प्रभु से हरपल
करती हूँ प्रार्थना
हर सुहागन का जोड़ा
जन्मों जनम बना रहे... !
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एक दिन ऐसा भी आता है,
जब चाँद,प्रतीक्षा करता है,
ताकतें है सब आसमान की ओर,
पर,ये चाँद नज़र न आता है,
कहते हैं...............
सब्र का फल मीठा होता है,
तभी तो,ये चाँद सताता है,
खिल जाते है,नारियों के चहरे,
जब चाँद निकल कर आता है,
चाँद प्रतीक्षा का ये अवसर,
'करवाचौथ' कहलाता है।।
Aastha Shukla91🖋️
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सभी विवाहित भाइयों को ये सूचित किया जाता हैं कि –
आज के दिन धीरज से काम ले
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क्योकि भूखी शेरनी ज्यादा ख़तरनाक होती हैं.-
अंधेरे में
आज वो सभी मुस्कुरायेंगे,
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ए इश्क़ आज छतोंं पर
चाँद ही चाँद को देखने आएँगे.!!
#चाँद_निकल_आया ❤️🌝-
"ऐ चाँद" जरा इतना सा इनायत ए करम करना
सजी रहे सोलह श्रंगार से हर सजनी,,,
सुहाग उसका अमर रखना....
न हो कोई कष्ट जीवन में,,,पिया को सदा खुश रखना
माँगूं पिय की लम्बी उम्र,,,मेरी हर साँस उन्हें अर्पण करना
चलूँ जब अस्ताचल की ओर,,,तो पिया का कांधा रखना
भरना माँग पिया आप,,,कर सोलह श्रृंगार से विदा करना
इस जीवन का इतना सा सफर पिया,,,पिया तुम पूरा करना
न हसरत न कोई और चाहत,,,है ये छोटासा अरमान दिल का,,,
"ऐ चाँद" मेरे पूरा करना....
अमर रहे सुहाग सदा,,,,सदासुहागन का वर देना....-
रेशम के कागज को
देकर प्रेम का आकार
बुन डाली हिना की कलम
फिर भर भर सुहाग उड़ेल इसमें
और लो...उकेर डाला
इन्ना सुंदर उपवन
जहा नाच रहे मयूर
कितने उमंगित मन से
आम्र पत्रों से सुसज्जित कलश
ठगी सी देख रही मैं
और कान्हा धर आये वर वेश
राधा ताक रही छत पर निर्जल
लेकर छलनी ...
हाथों में चूड़ियों की रुनझुन
कब आएगो मोरो पिया मोरा साजन
चाँद ...हा ...चाँद
ओढ़नी लाज की पूछ रही
कब होगा तेरा दरस ...
कलम मेहंदी की रीती हो गई
उपवन मेरी हथेलियों में जो भर गई
दीदार जब चाँद का होगा
चंद्र रश्मियां धरना धरेंगी मेरे अँगना
फिर चांदनी ही चांदनी से भरूँगी
तुमको मैं ..ओ हिना की कलम
राह दिखाना तुम मेरे झांझर की घुँगुरुओ को
जाऊं जब जब प्रेम के गांव में
सितारों से चमक जाए मेरे ये पाँव अमर आलता भरे.....💞💞
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