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ते मंत्रा ब्राह्मणाधीना तस्मात् ब्राह्मण देवता।
✨✨🚩 ज... read more
धीरे-धीरे चलना है मुझे,
हर मोड़ पर ईश्वर का नाम लेना है मुझे,
मंज़िल से पहले सफ़र को भी जीना है मुझे।-
भीगी हुई सी शाम थी,
दिल में हल्की सी बात थी,
नज़रें मिलीं तो जैसे
रुकी-रुकी सी हर एक साँस थी।
हवा में घुला था इत्र तुम्हारा,
फूलों की तरह मुस्कुराया नज़ारा।
लबों पे नाम अनजाना था,
फिर भी दिल ने पहचाना था।
कुछ कहने को थे लफ्ज़ बहुत,
पर जुबां पर ख़ामोशी छाई थी,
तुम्हारी आँखों में देखा तो
जैसे सारी कायनात समाई थी।
वो पहली मुलाक़ात,
जैसे बारिश की पहली बूँद,
मन के सूखे आँगन में
आ गई हो उमंगों की नयी धूप।
अब जब भी याद आती है
वो शाम, वो हँसी, वो बात,
और दिल फिर से जी उठता है
हमारी पहली मुलाक़ात.. 💞-
हम प्रेम में नहीं, इंतज़ार में हैं!
जहाँ हर बूँद, हर घाट,
तुम्हारी याद में भीगता है...-
रविवार की शाम, यादों की चादर ओढ़े,
दरवाज़े पर सांकल खटकी, नूपुर की गूँज,
तुम न होते हुए भी, हर ओर तुम ही तुम थी!!-
अधरों पर मधुर स्मित की रेखा,
नयनों में उजास की छाया।
उसकी मुस्कान,,
जैसे कविता में
प्राची का प्रथम आलोक..!!-