-अर्चना शुक्ला'अभिधा'
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!!श्री राधे राधे!!
!!हर हर महादेव!!
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कुंडली से भाग्य मिलाए जा सकते है,
लेकिन हृदय नहीं।
हृदय.. कुंडली से परे होते हैं।।-
'सम्मान' निर्झरा पत्रिका में प्रकाशित रचना— % &.......— % &......— % &.....— % &.....— % &
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सुनों न...वक्त की भी क्या, गजब की होती पारी है
इन्सान की क्या बिसात, जब ईश्वर ने बाजी हारी है
सुना है,ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे वक्त ने ठगा नहीं।-
मुसव्विर बन सुख़नवर रोज़ इक चेहरा बनाता है।
तसब्बुर में फ़िज़ा रंगीं त'अल्लुक़ रख सजाता है।।
कभी जु़ल्मत कभी अस्मत कभी राह-ए-गुज़र सुर्खी,
लिए जज़्बात चिंगारी कलम मश'अल जलाता है।।
मिली शाम-ओ-सहर पे बेकसी उसकी रक़ीबी जब,
तबस्सुम लब तरन्नुम से ग़म-ए-ग़ुर्बत छिपाता है।।
सुपुर्द-ए-खाक़ हो जाना तो रंज-ओ-गम नहीं करना,
वतन मिट्टी लिपटकर फर्ज़ हर बेटा निभाता है।।
न धन दौलत महल कोठी न काया साथ जायेगी,
यहाँ जो शख़्स जन्नत चाहता नेकी कमाता है।।
न मिल पाए ज़मीं दो गज ख़ुदा मंजर दिखाए जब,
अहं मत पालकर बैठो कफ़न इक सा ही आता है।।
चुनावों में करें वादें निरी लफ़्फाज़ बन नेता,
पहनकर झूठ का जामा भली जनता फसाता है।
हयात-ए-मुफ़लिसी लेकर कहाँ जाए बता "अर्चू"
कई फ़ाक़े बिताकर शख़्स क्यूं जीवन बिताता है।।-
आजाद होकर भी आजादी न मिल सकी
हर रोज बहन बेटी की अस्मिता लुट रही
क्या यही
आजादी का परचम फहर रहा
क्या इसलिए ..
वीरों ने अपनी शहादत दी थी
अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद की थी
सच आज वीरों की शहादत मिथ्या लग रही
जब बहन बेटी सुरक्षित न अपने ही घर रही
कुछ दिन का मातम कैन्डल मार्च होगा
कुछ की आवाज तो यूँ ही दबी रहेगी
चीखें चाहरदीवारी मे कैद रहेगी
हरदिन एक जंग लडी जायेगी
गिद्ध ताके शिकारी रहेगे
निर्भया जैसे कांड रहेगे
क्या हकीकत की जमीन ऐसी ही रहेगी
नारी अबला की अबला ही रहेगी
सत्ता का श्वांग होता रहेगा
तू रोती रहेगी जग हँसता रहेगा
हैवानियत का चरम रेला रहेगा
हरदिन कैन्डलमार्च होता रहेगा
हकीकत से यूँही सामना रहेगा
जश्न मनेगा मनता रहेगा
स्वतंत्र रूप न स्वतंत्र रहेगा
बेडियों का जकडा कटघरा रहेगा
आजाद आजाद हम है स्वरनांद रहेगा-
ललाट का तेज,अधरो की मुस्कान 'माँ अष्टभुजी' सी,
उजलित काया,सरल सौम्य सहज स्वभाव 'माँ सिया' सी,
मन की कोमल, प्रेमसुधा बरसाती 'माँ राधारानी' सी,
ममता से सुसज्जित वात्सल्यमयी,करूणाधानी 'माँ गौरी' सी,
गुणश्रेष्ठ मृदुभाषी ज्ञानेश्वरी 'माँ शारदे सी,
शिष्ट मनोवृत्ति मंगलकरणी 'माँ कात्यायनी' सी,
शील क्षम्य शांत पुण्यात्मा 'माँ वैष्णवी' सी,
नैनो से छलकती ममता 'माँ अनुसुइया' सी,
हृदय छलकाती प्रेम 'माँ कौशल्या' सी,
जिसकी प्रीत 'माँ शबरी' सी,
और...
करूणाधानी 'माँ राधारानी' सी,
वात्सल्यमयी 'माँ गौरी' सी,
पवित्र पावनी 'माँ गंगा, सी,
निर्मल निश्छल 'माँ नर्मदा' सी
सुन्दर, सुशील,सुसंस्कृति, कृति दिव्यात्मा
कोई और नही...
मेरी 'माँ है "_💞💞💞💞-