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!!श्री राधे राधे!!
!!हर हर महादेव!!
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"दोस्ती जाति, धर्म, ऊँच नीच ,गरीब अमीर , तौर तरीके ,समाज ,रूढ़ियों, परम्पराओं से भिन्न निश्छल और पवित्र हृदय देखती है , जो हर बंधन से परे होती है। "
मित्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं❤️❤️
राधेकृष्ण🙏-
कुंडली से भाग्य मिलाए जा सकते है,
लेकिन हृदय नहीं।
हृदय.. कुंडली से परे होते हैं।।-
'सम्मान' निर्झरा पत्रिका में प्रकाशित रचना— % &.......— % &......— % &.....— % &.....— % &
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सुनों न...वक्त की भी क्या, गजब की होती पारी है
इन्सान की क्या बिसात, जब ईश्वर ने बाजी हारी है
सुना है,ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे वक्त ने ठगा नहीं।-
मुसव्विर बन सुख़नवर रोज़ इक चेहरा बनाता है।
तसब्बुर में फ़िज़ा रंगीं त'अल्लुक़ रख सजाता है।।
कभी जु़ल्मत कभी अस्मत कभी राह-ए-गुज़र सुर्खी,
लिए जज़्बात चिंगारी कलम मश'अल जलाता है।।
मिली शाम-ओ-सहर पे बेकसी उसकी रक़ीबी जब,
तबस्सुम लब तरन्नुम से ग़म-ए-ग़ुर्बत छिपाता है।।
सुपुर्द-ए-खाक़ हो जाना तो रंज-ओ-गम नहीं करना,
वतन मिट्टी लिपटकर फर्ज़ हर बेटा निभाता है।।
न धन दौलत महल कोठी न काया साथ जायेगी,
यहाँ जो शख़्स जन्नत चाहता नेकी कमाता है।।
न मिल पाए ज़मीं दो गज ख़ुदा मंजर दिखाए जब,
अहं मत पालकर बैठो कफ़न इक सा ही आता है।।
चुनावों में करें वादें निरी लफ़्फाज़ बन नेता,
पहनकर झूठ का जामा भली जनता फसाता है।
हयात-ए-मुफ़लिसी लेकर कहाँ जाए बता "अर्चू"
कई फ़ाक़े बिताकर शख़्स क्यूं जीवन बिताता है।।-