किसी अंजान रास्ते से पहचान होगी।
न जाने कब
ज़िन्दगी के खेल हमारी समझ के साथ होगी।
न जाबे कब
पैरों की पाजेब केवल एक स्वर नही परंतु ताल होगी।
न जाने कब
जीवन संघर्ष नही पर हमारे होसंले की मिसाल होगी।
न जाने कब,न जाने कब.......।
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एक तुम्हारा भी घर हो
एक मेरा भी
मेरे लफ़्ज़ों का थोड़ा असर हो
बहुत सारा भी
दिल यूँ ना बेख़बर हो
ना चेहरा भी
खो ना जाने का तुम्हारा भी डर हो
और मेरा भी-
She
Wished
to be
A princess,
Only till
she didn't
Know she
Would need
A Savior(prince).
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कब से खामोश हूं क्या
बताऊं तुझे...
अधूरे हैं मेरे अल्फाज
क्या केह के सुनाऊं
तुझे....?-
दिल जो चाहे वो मिल पाएँ कम होता है,
बहता रहता समय एक दिन रुक जाए,कब होता है,
थोड़ी-थोड़ी साँस अभी भी रह गई बाक़ी,
चलता-फिरता होश कहीं पर ठहरा है,कब होता है,
तेरी बातें मेरे शिकवे बहुत हो चले,
अब तू बतला दे तेरा भरम,कब मिटता है,
कुछ तुमने कहा कुछ हमने सुना,
कुछ हमने कहा कुछ तुमने सुना,
छोड़ भी दे अब इन बातों में,क्या रखा है,
सच्चे वादें सच्ची कसमें सच्ची यादें,अब बहुत हो चुकी,
तू अजनबी मैं अजनबी कौन यहाँ,किसका रहता है।-
कब तलक लौट कर आओगी, ए बिछड़ने वाली
वीरान रास्ते पर खड़ा, इक शख़्स बुरा लगता है-
कब से ये आँखे कर रही है उनका इंतजार,,
लेगे बाहोँ मे और कहेंगे,,
मै सिर्फ तुम्हारा और तुम्हारा हूँ यार ।।-