मोहब्बत क्या उनसे हो गई चर्चा जहां में नाम हो गया
बदनाम तो पहले ही थे आशिक़ ज़माना हो गया
होने लगी बातें आंखों ही आंखों में देखती थी दुनिया
इश्क में हीर रांझा जैसा एक पागल दीवाना हो गया
जन्मों जन्म की नही थी प्रेम कहानी इसी जन्म में
मैं उसका और वो मेरी , यादों का ठिकाना हो गया
हर वक्त हर लम्हा जिसे अपने ख्यालों में सोचा
उससे ही अब क्यो दूर न जाने का बहाना हो गया
इक पल की जुदाई देखकर तड़प उठती है रूह मेरी
वर्षों बाद मिलने पर किस्मत में बिछडना हो गया
बिखर गए ख्वाब किश्तों पर मुस्कुराहटे थी' दिव्य'
चाहतों के शहर को कब्रिस्तान बनाना हो गया।।।-
देखा जब मुहब्बत का कब्रिस्तान पहली दफ़ा,
लगा युँ कि हर कब्र में वफ़ा दफ़न हो जैसे...-
Part - 1
सच्ची कहानी
शीर्षक :- अवि की प्यासी कब्र ।
ये कहानी एक कब्र की है जो अवि के प्यार की प्यासी है ,
शायद भगवान को यही मंजूर था ।
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plz puri story pde 🙏🙏-
मैंने यादों की गठरी बाँध
अंतःस्थल में दफ़ना दी है
और...
बन गई हूँ...... कब्रिस्तान !!-
आघात किया उसने दिल पर
असर कुछ यूं हुआ कि
दिल दफन हो गया
मुर्दों संग कब्रिस्तान में
💔💔💔💔💔-
शीर्षक :- अवि की प्यासी कब्र ।
Part - 2
सच्ची कहानी
अवि सब कुछ भुला कर बढ़ना चाहता था आगे
पर कमबख़्त किस्मत उसे फिर उसी मोड़ पर ले आई ।
कहते है भगवान ऊपर से जोड़ियाँ बना कर भेजता है
मौत के बार भी प्यार को सलामत रखता है ।
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plz puri story pde 🙏🙏-
शीर्षक :- अवि की प्यासी कब्र ।
Last Part - 3
सच्ची कहानी
डर लगता है अब अवि के ख़्यालों से ही
वो ज़िन्दा भी है या नहीं ।
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plz puri story pde 🙏🙏-
उसकी "ख्वाहिशो" की तो कोई "इंतिहा" ही नहीं थी,
वो ऊंचे से ऊंचे "मकामों" पर बढ़ता गया,
"लाशों" की "सीढ़ियों" पर चढ़ता गया,
"खुदा कहलाने" का शौक था जिसे,
"मरघट का मसीहा" बन के रह गया,
तुम "पत्थर की कब्रें" बनाना बंद करो,
वो "मंच" समझ कर चढ़ जाएगा,
फिर शुरू कर देगा "भाषण" ये सोच कर,
कि कोई न कोई "मुर्दा" जरूर सुनने आएगा,
जिसने दिन रात बस "जहर" घोला हो हवाओं में,
क्यों "उम्मीद" करते हो वो तुम्हारे लिए "ऑक्सीजन" लाएगा,
"शमशानों, कब्रिस्तानों" में में कंपटीशन कराने वाला,
क्या खाक तुम्हारे लिए "अस्पताल" बनबाएगा,
ऐसा ना समझो तुमसे उसे "मोहब्बत" नहीं,
या तुम्हारे "जिंदा" रहने से उसे दिलचस्पी नहीं,
बस उसे कुछ कहो मत सुनते रहो,
देख लेना मियां, "जिंदों" की तो क्या ही कहो,
बहुत जल्द वो "मुर्दों "से भी वोट डालबाएगा..!!!!
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मुझे मालूम है तुम्हारी सारी की सारी
होशियारियाँ मैं बस नज़रंदाज़ कर देता हूँ।
मैंने भी सीख ली है दुनियादारियाँ मैं बस अब
ज़ुबां से न कहके आँखों से ही बात कर लेता हूँ।
ऐसा नहीं है कि तुम बहुत ही ज़्यादा तेज़ हो इसलिए मैं समझ नहीं
पाया तुमको, बस अब दिल को मंज़ूर नहीं है बेमतलब की लड़ाईयाँ।
तुम्हारे साथ सबकुछ अच्छा होता पर मिली मुझको बस तन्हाईयाँ।
इश्क़ किया तो किसी ने अच्छा तो नहीं कहा बस मिली बदनामियाँ।
प्यार किया था उसके साथ ख़ुशहाल रहने के
लिए "अभि" पर बदले में मिली रुसवाईयाँ।-
सुनो...
ये जो मेरा दिल है न...अब कब्रिस्तान है ,
समझ लो यहाँ दफ़्न हो चुकी है तुम्हारी मोहब्बत ,
और मैं ' आज़ाद ' हूँ...!!-