दुआ करो कि जी जाऊं क्योंकि आज दर्द बेहिसाब हो गया है।
दफन करते रहे जिसे सीने में आज वह इजतिराब हो गया है।।
जो सूखने लगे थे घाव मेरे तो फिर से वह नमक छिड़क गया।
जिसे दे दी थी कश्ती ए पतवार वो एहसानफरामोश निकल गया......-
वो चुप था ,वो खामोश था ,
हमे बस ईतना अफसोस था ,
वो शख्स जिस पर लुटा दिया
सब-कुछ जिंदगी का हमने
वो अहसान फरामोश़ था ।-
इंसान की नजाकत तो देखो.!!
जरुरत पड़ने पर प्यार से,
हाथ भी जोड़ लेता है,
बस जरुरत ख़त्म होते ही,
उसका लहजा बदल जाता है।
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हम सब न एहसान फ़रामोश होते है "अभि" बस प्रेम
में और ख़ासकर के प्रेम के बाद जो दुख, दर्द, उदासी,
तन्हाई और रुसवाई मिलती हैं उसको लिखते हैं।
लेकिन प्यार के दिनों में जो सुकून, ख़ुशी, आराम,
आनंद, अपनापन मिलता है उसका गुणगान करना
भूल जाते हैं, उसके बारे में कभी नहीं लिखते हैं-
एहसानफरामोश है ये चाँद भी,
हम शबभर बातें कर
दूर करते हैं इसकी तन्हाई
और ये,
सुबह तक भी साथ नहीं निभाता-
रात भर पहरेदारी हमने की
और वो सवेरे पे आके सो गए
आपने तारीफें की उनकी
और हमारे एहसानफरामोश हो गए-
कुछ लोग एहसान के बदले,
एहसान फ़रामोश हो जाते हैं,
हम उनका दर्द बाँटने चलते हैं,
और वे हमें ही दर्द दे जाते हैं,
हम ज़िंदगी का क़र्ज़ देते हैं,
और वह ख़ुदगर्ज़ बन जाते हैं।-
चाहे कुछ भी कर लिजीए, कुछ लोग जता ही देते हैं कि, वो कभी आपके अपने नहीं हो सकते.
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दिल बड़ा है तुम्हारा तो जिगर भी कड़ा रखना
तोड़ने में कसर न रखेंगे, पत्थर दिल पर बड़ा रखना
ये दुनिया है दुनियादारी का सबक याद रखना
चाहे अजीज हो कोई कितना, है तो इंसान इल्म रखना
बदलते हैं मौसम की तरह लोग हर रोज यहाँ
हर बात का मतलब बदल देंगे अपने मुताबिक लोग यहाँ
होना है कामयाब तो इरादे अपने राज़ ही रखना
राज़दार ही होता है कातिल अकसर खबरदार रहना.
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उनके पैरो में छाले थे,
और हम मरहम लगाने वाले थे।
वो एहसान फरामोश निकले,
उन्ही पैरो से हमें कुचलने वाले थे।-