चलो आज कुछ ख़ास लिखूं
शेर लिखूं या शायरी लिखूं ?
चलो आज कुछ बात लिखूं
जज़्बात लिखूं या हालात लिखूं ?
चलो आज कुछ तुम पर लिखूं
एक पन्ना लिखूं या पूरी किताब लिखूं ?🤔
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Kagaz pr nhi utarti hu..
Kabhi to dusre k dardo ko sun kr hi
Ap... read more
गुज़र गया ये साल भी
नया साल फिर नए जोश
नए सपने लिए आएगा
कुछ पुराने लोग साथ लिए
नए लोगो से मिलवाएगा
कुछ अधूरी ख्वाइशें
कुछ नयी फरमाइशें
कुछ पुरानी बातों में
कुछ नयी बुनी यादों में
ये साल भी गुज़र जायेगा।
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जो माँ बाप रिश्तेदारों के घर भेजने में भी इतना सोचते थे,
आज किसी अनजान के घर ज़िन्दगी भर के लिए भेज दिया।
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अब 'हक़' तो नहीं.. खैर
पर क्या करें?
'मन' अब भी तुम पर है..
अजनबी सी बातें है
जैसे हम नहीं कोई गैर है
शिकायतें बहुत हैं
मग़र नहीं कोई बैर है।
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!! कुछ इस तरह फैलती बातें !!
हमने उस पर भरोसा कर
बोला ये
"तुम किसी से कहना मत"
उसने बड़ी समझदारी से
दस लोगो को बता
उनसे कह दिया
"तुम किसी से कहना मत"
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यही दास्ताँ है ज़िन्दगी की,
कब किससे मुलाकात आखिरी रह जाये पता नहीं।
कदर कर लो जीते जी ही इंसान की,
इंसान भी एक वक्त है कब गुज़र जाये पता नहीं।
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काहे का गुरुर नाराज़गी दिखावा
जब इंसान ही नहीं रेहगा तो क्या करोगे इसका।
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चार दिन की ज़िंदगी है खुल कर जी लो,
कब कौनसी रात आखिरी हो जाये पता नहीं।
कहदो दिल की बात बोल लो चार शब्द प्यार के,
कब किस से बात अधूरी रह जाये पता नही।
कब ज़िन्दगी एक किस्सा बन जाये पता नहीं।
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अरे ! ऐसे क्यूँ रो रहा है लड़की है?
क्यूँ भई लड़को को दर्द नही होता क्या?
हर हाल लड़के बस आँसू छुपाते रहें, मुस्कुराते रहें
ये ज़रूरी है क्या?
तूने ही कुछ गलत किया होगा?
क्यूँ भई गलत बस लड़के हीं करते हैं क्या?
हर वक्त बस उन्हें ही हम गलत ठहराते रहें,
ये जरूरी है क्या?
तुझे लड़की को समझना होगा उसे खुश रखना होगा,
क्यूँ भई मूड स्विंग बस लड़कियों के होते हैं क्या?
हर बार वो ही समझते रहें, मनाते रहें,
ये जरुरी है क्या?
तू उससे कुछ नही कह सकता वो लड़की है
क्यूँ भई उनके कोई जज़्बात, कोई अहमियत है या नही??
वो लड़के हैं तो हर वक्त अपमान, नाराज़गी, बेकद्री, नख़रे झेलते रहें..
ये ज़रूरी है क्या?
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कुछ पल थम गयी मेरी सासें..
झुक गयी मेरी नजरें,
कपकपा गये पैर,
उड़ गये होश मेरे,
सकपका गया...
मुरझा गया,
न जाने मैं कहां से
कहां आ गया
उसका हाथ किसी और के
हाथ में क्या देखा,
मैं खुद को जिन्दा दफना गया।
उसका रोका देख,
रोक लिया मैंने खुद को,
आज फिर उसकी खुशी में...
खो दिया खुद को,
जाते जाते बस यही कह दिया,
जाओ..खुश रहना
मैने आज अपनी खुशी को,
तुम पर न्यौछावर कर दिया।-
हमारी ख़ुशी में चार चांद लगाते दोस्त हैं,
हमारे ग़म में मुरझाते दोस्त हैं।
खुद भले ही हमे चार सुना ले..
मगर कोई और एक शब्द भी बोल दे,
तो हमारे लिए सबसे लड़ जाते दोस्त हैं।
सबसे बड़ी खासियत..
इनसे भले ही अपनी परेशानी ना सुलझे..
मगर हमारी परेशानी में ज्ञान देने,
सबसे पहले आते दोस्त हैं।
रिश्ते खून,कागज़ या रिवाज से नहीं चलते ये
दिखावे और सबूत से परे,
खुलकर दिल से निभाते दोस्त हैं।
अगर बिगाड़ते हैं तो संवारते भी दोस्त हैं
कभी रुलाते हैं तो हँसाते भी दोस्त हैं।
आप खुशकिस्मत हैं अगर आपके पास ऐसे दोस्त हैं।
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