निकाल दिया आज घर से उसको,
नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा उसे,
ऐसा क्या गुनाह किया था उसने जो,
बे पनाह घुट घुट के जीना पडा़ उसे,
अस्पृश्य हो गया कल सबका प्यारा,
खुद में से खुद को खोना पडा़ उसे,
कहानी एक पल की बन गई सजा,
स्पर्श वो अनजान महंगा पडा़ उसे,
प्यार सहानुभूति से हो गया वो दूर,
ऐड्स ओ घृणा को ढ़ोना पडा़ उसे,
जिंदगी जीनी थी खुशहाल जिसको,
मौत की चादर ओढ सोना पड़ा उसे...
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