कुछ कहानियाँ अधूरी ही खूबसूरत लगती है
बिलकुल चाँद की तरह ।।-
पुरे चांद से भी ज्यादा मुझे
आधा चांद भा गया
पूरा चांद कैसा होगा
इस उम्मीद ने ,पूरे चांद से भी ज्यादा
आधे चांद को खुबसूरत किया ,,,-
उस आधे चांद को खूबसूरत,
उससे इश्क़ करने वाले ने बनाया।
वरना देखने वालो को तो,
पूरे चांद में भी दाग नजर आया।-
" आधा चाँद "
सुनो न.....
शरद की श्वेत चाँदनी रात्रि में बादल के रेशमी झूले में झूलते हुये उस आधे चाँद को क्या कभी तुमने गौर से देखा है ??
गहरे काली रात में, हल्के काले बादलों से घिरे हुये नीले आकाश में, वो पूरे संसार में श्वेत शहद सी चाँदनी बिखेरती हुई, बेखौफ़ चलती रहती है, या कहूँ बहती रहती है निर्मल गंगा सी,,
मैं अक्सर प्रश्नकुल बहुत उदास मन लिए, अश्रु रोंके, बस एकटक उसे निहारती रहती हूँ, और केसरिया चाँदनी रात्रि की वो मध्यम ठंडी हवा का एहसास मेरे मन को कितना सुखद अनुभव प्रदान करती है,मानो उस हवा के संग मेरे सारे प्रश्न बह गए हों,,
क्या तुमने कभी अपने छत में या किसी वृछ के नीचे बैठ के उस चाँद को निहारा है, उसके श्वेत चाँदनी प्रकाश को खुदकी हथेली में महसूस किया है ?
अगर नहीं तो...करके देखना..,,,
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और तुम्हें पता है... मुझे वो आधा चाँद कुछ हम-सा लगता है.....
" कभी आधे-अधूरे तो कभी पूरे पूरे "
मैंने सही कहा न !!-
ये रातें ख़ामोश
ये पल भी ख़ामोश
चांद भी आधा
अकेला छत पर
बिखेरती हुई सर्द
हवाएं अपनी आहट
फूलों की खुशबू
को फैला रही
इस पल को
महका रही हैं
रोशनी हैं धीमी
सी सितारों की
एक धुन ही
गुनगुना रही
प्यार के नगमे
सुना रही।-
सुनो
ये जो आज
आसमां में
अर्ध-चंद्र है ना,
ना जाने क्यौं
तेरी याद
दिला रहा है
हां सच मे ये
'D' shape
में बना हुआ
अर्ध-चंद्र-
आधा चांद
दिल को बहुत तड़पता है
जब भी अम्बर में आता है
मुझे बेबस कर जाता है
नहीं भूलने देता मुझको
ना जाने क्या क्या याद दिलाता है
ये आधा चांद
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