किसने कहा मुझे मोहब्बत में विश्वास नहीं?
किसने कहा मेरे जहन में किसी की तस्वीर नहीं?
वो रहता है, मेरी बनाई छोटी सी दुनिया में,
वो झलकता है मेरे लिखे किरदारों में,
वो सांवला सा रंग, वो गहरी सी आंखें,
वो सुर्ख होंठ और वो बेपरवाह सी मुस्कान।
वो सिमट जाता है "अर्जुन" के तरफा प्यार में,
फिर नजर आता है "आरंभ" की शरारतों में।
मैंने महसूस किया है उसे "नक्षत्र" के गुस्से में,
"लिटिल टाइगर" के लिए "विद्युत" के जुनून में।
हां! वो है "ईशानी" के लिए "रुद्राक्ष" के इंतजार में,
"अहाना" के लिए "साहिल" के छुपे प्यार में।
मैंने पाया है उसे "पाविनी" के लिए "आर्यन" के सब्र में,
"शौर्य" के लिए "युवराज" की खामोश फिक्र में।
जब "अघन्या" खो गई थी "अरहान" की सादगी में
तब झलक पड़ा था वो "अभिमन्यु" के त्याग में।
यूं ही मिलेगा वो फिर....मेरी लिखी हर कहानी में,
क्योंकि वो रहता है, हर वक्त मेरे ख्यालों में।
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