अपने खिड़की से मैने एक दृश्य देखा ,
एक पिता को अपने नन्हें बच्चे को ,
आसमान में उछालते देखा ।
उसकी खिलखिलाहट देख , उनके
कमर दर्द को भाग जाते देखा ।
एक मां की मुस्कान को आज मैने ,
आसमान को छूते देखा ।
ऐसी ही थे ना !! हम भी कभी ,
हवाओं की गोद में खेले थे कभी ।
" बचपन "
-