दिल का निकला जनाजा
बेवफा वोह हंसते रह रहें ..
देख के उनको हँसता हुआ ,
उठ खड़े हुए जनाजे से ,
फिरसे जिंदा करके दिल को
प्यार की राह में चल दिए ,,,
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किस्से थे हजार ,,
दर्द के !
यादें थी शुमार,,
प्यार की !
टूटे थे तार तार
आशिकी में !
फिर कोई और आयी ,,
किस्से ,दर्द
यादें ,वादे ,प्यार ,
टूटना ,बिखरना, आशिकी ,
सिलसिला चलता रहा...
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सूनो 😌
गुजर जाएगी जिंदगी यूंही ,
गुज़ारा साथ में कर लेते है ,,
तुम कलम मैं स्याही,
जिदंगी का काग़ज़ प्यार के अल्फाजो से
तिनका तिनका भर लेते है ,,-
धर्म से बढ़कर जिसने कर्तव्य को माना था ,
दुनिया ने उसे राधेय कर्ण के नाम से जाना था ,,-
अभी मैं जिंदा हूं ,
कुछ और गम मेरे बाकी है ,,
कुछ अनकहे जज्बात
लब्जो में पिरोना अभी बाकी है ,,,
जिदंगी अभी शुरू हुई है ,,,
कुछ और कदम मेरे बाकी है ,,,
सपनो में देखा था जो जहा ,,,
उसे हकीकत बनाना अभी बाकी है ,,,
अभी तो हत्यार उठाए है ,
संघर्ष मेरा अभी बाकी है,,
माना थोड़ा थका हूं , हारा हूं ,
थोड़िसी जान मुझमें बाकी है ,,
अभी मैं जिंदा हूं ,,
सांसे मेरी अभी बाकी है ,,
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जिंदगी एक सफर ,
मैं एक मुसाफ़िर,,,
दिल बंजारा,बैरागी ,,
राहें उलझि हुई ,,,
उलझके सुलझना
सुलझके उलझना ,,,
जारी है सफर ,,,,
जन्म से लेकर ,,,
मृत्यु के मंजिल तक,,,,-
रिश्तों की किश्तों में
जिंदगी कर दी उधार,,
प्यार का प्याला भर भर के दिया,
हर एक ने कहा " बेकार" !-
बेइंतिहा प्यार में ,
बेहिसाब दर्द है !
दर्द ना दे वह मोहब्बत कैसी ?
दर्द ना सह सके ,वह आशिक कैसा ?-
कोइ किनारा हे क्या बैठने को ,
बिखरा हुआ है दिल,
दर्द बोहोत है !
कोइ लेहरो से केहदो ,आ जाओ बाटने को...
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