वो मेरी आँखों का काजल बनना चाहता है
शायद वो मुझे सारी बुरी बलाओं से बचाना चाहता है.....!-
गीत संगीत मीत मनमीत
मैं हूं मितवा तेरा...
प्रीत रंगीन प्रिये प्रियतमा...
तू है काजल मेरी !!
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नज़र रखना अपने दिल पर
कहीं तुम ही से ना बेगाना हो जाए।
आज आंखों मे काजल लगाया है हमने ,
कहीं नयनों की कटार तुम्हारे दिल में ना उतर जाए।-
तुम तो खुद से भी खूबसूरत हो,,
ये मुआ काजल क्यों लगाती हो,,
खामख्वाह इनके भाव बढ़ जाएंगे,
क्यों इन्हें आंखों पर बैठाती हो,,-
रूठी हुई पलकों को काजल ने यूँ छेड़ दिया
आँखों ने भी हँसकर अपना रंग बिखेर दिया
जो जुबा से बया न हो पाती आँखों ने कह दीया
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सुनो...
यूँ गहरा काजल न लगाया करो,
खामख्वाह चाँद को दिन में रात का धोखा हो जाएगा।-
वो कह रहे थे ये काज़ल इन आँखों में क्यों रहता है ...सो हमनें कह दिया ..इन आँखों का काज़ल ये कहता है ..तुझे नज़र न लग जाये क्योंकि तू मेरे खब्बों में रहता है ...!!
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तीखी तीखी सी जुबाँ तेरी,
या तेरी आंखों का काजल
झरने का मीठा पानी,
या बलखाता बादल-
Kaas Mai uski nazro ka kajal bankar usko buri nazaro se bacha pata...✍
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काश कि...
मैं तेरी आंखों का काजल होता
पहले नर्म ऊंगलियों से छूती मुझे
फिर अपनी आंखों में बसा लेती-