जमाना क्या सोचता है ,चार लोग क्या कहेंगे...आप क्या थे ,क्या हो और क्या हो सकते हो इसका अंदाजा ये लोग कभी नहीं लगा सकते।।
-
मुकम्मल नही ,मगर दांस्ता हूँ ।
किसी के कुछ कहने से और सहने से अपना सब्र मत खोना... ईश्वर आपको वहीं देगा जो आप चाहते हो और आपको ख़बर भी नहीं होगी..!!
-
अपनों ने ही मज़ाक बनाया भरोसे का ...
पराये तो शिकायत के हकदार नहीं थे ...।।-
कुछ परेशानियाँ और बातें खा जाती है दिमाग को
नोच - नोच कर और
निंद भी रिश्ता तोड़ देती है आँखों से ..
वरना तुम ही सोचो कोई क्यों ख़ुद को तकलीफ देगा।।-
हाँ,
मैं स्वीकार करती हूँ
मैंने गलत किया है ...उसके साथ
मैंने ही छीनी है, उसके चेहरे की रौनक ...
मैंने ही धकेला है उसे अंधेरों की तरफ़...
मैंने ही उसे हराया है ...
मैंने ही उसके सपनों को मिटाया है..
मैंने ही किया है ये अपराध उसके साथ ..
वो कोई और नहीं ...
मैंने ये स्वयं किया है खुद के साथ ।।-
कष्ट ये नहीं कि आत्मा मृत्यु की देहलीज पार कर गई ...
कष्ट ये है कि ...इस देह को यातनाएँ सहने के लिए जीवित छोड़ गई ।।-
परिस्थितियों को जानते हुए भी कुछ न कर पाना.
हालतों से लड़ते हुए जीवन की लड़ाई मृत्यु से है..
बहुत कुछ मेरे पास होकर भी मेरा नहीं है ...
बहुत कठिन हो रहा है खुद को समझना ...
मन कहता है मुझे तेरे बस से आज़ाद कर दे...
और हृदय कहता है नहीं ये सब बर्बाद कर देगा..
-
स्थिति कहती है कि कोई गलत कदम उठा लूँ ,
और धैर्य कहता है...
शायद सब ठीक हो जाए
कुछ दिन और सहन कर लूँ...!!-