तुम हो जो जीवन में तो सर्वस्व है...
तुम बिन तो मेरा होना भी व्यर्थ है ...!!-
मुकम्मल नही ,मगर दांस्ता हूँ ।
अभी तो जीवन की कक्षा में प्रवेश ही हुआ था ..
और ईश्वर ने इतनी सारी परीक्षा ले ली...!!-
तुम्हारी मुस्कान ही मिटा देती है..
मेरे अंदर के दुखों को ....!!
भला मुझ में इतनी शक्ति कहाँ..
जो लड़ सकूँ इन हालातों से..!!
-
प्रेम का अर्थ साथ रहना नहीं होता..
जगह देना होता अपनी आत्मा के हिस्से में....!!-
जीवन का कोई भरोसा नहीं ...
हो सके तो सबको माफ़ कर दो...
कल ऐसा न हो माफ़ी की आस लिए
कोई दुनिया से चला जाए ..
और आपकी माफ़ी उसे कभी मिल ही न पाए।।
-
ईश्वर की बनायी इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है ...जब उसकी दी हुई खुशियाँ दो दिन नहीं ठहरी ..तो उसके दिये हुए दर्द कैसे स्थायी होंगे।।
-
ईश्वर की परीक्षा इतनी आसान कैसे हो सकती है ...वो लिखित नहीं होगी ...वो परखेगा मानसिक, आर्थिक और शारीरिक रूप में,हमें सब्र से इंतहान देना होगा परिणाम हमारे हक में होगा...!!
-
जमाना क्या सोचता है ,चार लोग क्या कहेंगे...आप क्या थे ,क्या हो और क्या हो सकते हो इसका अंदाजा ये लोग कभी नहीं लगा सकते।।
-
किसी के कुछ कहने से और सहने से अपना सब्र मत खोना... ईश्वर आपको वहीं देगा जो आप चाहते हो और आपको ख़बर भी नहीं होगी..!!
-
अपनों ने ही मज़ाक बनाया भरोसे का ...
पराये तो शिकायत के हकदार नहीं थे ...।।-