Vikas Jain   (✒️Vikas Jain ✒️)
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Joined 6 August 2018


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13 APR AT 13:25

फ़क़त अब वो दिखावे की मुहब्बत बन चुकी मेरी
जुड़ा है नाम जिस दिन से,, फज़ीहत बन चुकी मेरी

वो सब से खुल के मिलती है ,मैं बैठा उस को तकता हूँ
किसी हारे से राजे सी ,तो सूरत बन चुकी मेरी

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12 APR AT 20:05

मुझे समझाया बीवी ने,मुहब्बत तेज़ आरी है
फ़क़त मेरे सिवा अब से ,सभी बहनें तुम्हारी हैं

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12 APR AT 17:21

पलकों के इस तराज़ू में आँसूं ना तौलिये
बेगाना समझते हो ज़रा खुल के बोलिये

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12 APR AT 15:51

तुम्हारे पास बैठें हैं ,,हमें मतलब से है मतलब ,
हमें उन सब से मतलब है ,वो जिनको तुमसे है मतलब

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12 APR AT 15:24

हज़ारों आदतों में भी, अदावत ये सुहाती है
सभी को छोड़ के वो जब, नज़र हम पे जमाती है

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12 APR AT 15:19


चले आओ इधर जाना ,झगड़ के जीत लो मुझको
अगर मुमकिन नहीं हो जीत, कह दो हार जाते हैं

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12 APR AT 14:24


नज़र के ख़ेल में हमदम नया सा खेल होने दो
जो जलते हैं मेरी मानो उन्हें खुल कर के रोने दो

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11 APR AT 22:43

हाँ,,ज़िंदगी से ज़िंदगी तो ख़त्म हो गयी,,
जद्दोजहद ही ज़िंदगी से ख़त्म ना हुआ,,

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11 APR AT 17:46

अप्रैल वाली गर्मी में सर्दी है लग रही
बीमार लेटे ज़िस्म को अच्छी है लग रही

महँगी समझ के जिसको लगाया था दिल से यूँ
कमबख्त वो दवा मुझे सस्ती हैं लग रही

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11 APR AT 16:21

बेवज़ह मुस्कुरा रहा हूँ मैं
यूँ उदासी छिपा रहा हूँ मैं

ज़ख़्म जितने मिले हैं अपनो से
लब के नीचे दबा रहा हूँ

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