जो आज अर्थपूर्ण है, कल निरर्थक होगा।
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"सर्वश्रेष्ठ" "संवाद" वही होता है।
जो "शब्दों" में सीमित, और "अर्थों"
में असीमित हो...!!
🌷आपका दिन शुभ हो🙏🌷-
दो शब्दों के बीच का,
हल्का सा ठहराव,
जो दो भिन्न शब्दों को,
एकाकार कर अर्थपूर्ण,
बना देता है,
उस ठहराव को ही,
शायद!
प्रेम कहते हैं..!
सिद्धार्थ मिश्र-
स्वतंत्र बाबा दर्शन सूत्र:-
विध्वंस ही सृजन की पृष्ठभूमि है ।। अपने मोह के खंडहरों से बाहर निकलो तभी कुछ अर्थ पूर्ण सृजित कर सकोगे। अगर सृजन की इच्छा है तो ये जोखिम उठाना पड़ेगा।।
सिद्धार्थ मिश्र-
यूँही
शब्दो के अर्थ
बदलते देखा है मैंने
शब्दो को शाँत
होते भी देखा है मैंने
ना जाने क्यों
जब जब एक मासूम बच्चे को
बेबस देखा है मैंने
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प्रेम का अर्थ सीखना हो तो राधाकृष्ण से सीखो,
जो खुद जुदा हुए संसार को प्रेम सीखाने के लिए-
पहले mobile छोटे होते थे पर
massage अर्थ और एहसास से भरे होते थे
आज mobile बड़े होते हैं पर
massage अर्थहीन और एहसान से भरे
होते हैं-
शब्द झुकतील गं समोर
देह ही विरेल बघ
आठवणी सदा असतील
पण सर्व निरर्थक आहे
शरीर नश्वर तर वासना ही नश्वर आहे...
काय झाल आज तुला
कशाचा राग आहे
कल्पना कर तु
खरचं प्रेम किती गोड आहे..
तुजविना रात्र आहे
दिवस ही आहे च की
पण सांग मला
तुझ्या विना शब्द आहे की
तुझ्या विना जीवन आहे..
तुच रात्र ती
अन तुच नशा ही
तु ओलेचिंब नेत्र
अन तुच अश्रु ही...-