आखिर वो कबतक मुस्कुराते रहते
ये भुखमरी, पैसों की तंगी
अपमान
अच्छे अच्छों को तोड़कर रख देती है
तो उनका भी टूट कर बिखरना लाजमी था....!
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मैं अपने हर अपमान को बरदास्त करता हूँ।
बिना लड़े ही कुछ लोगों को परास्त करता हूँ।-
एक उम्र से ख्वाहिशें दफ़न हैं सीने में
मगर पलकों पर सजने ख़्वाब रोज़ आते हैं..
बड़ी लंबी है यूँ तो फ़ेहरिस्त तमन्नाओं की
अरमान घुट के खुद में हो के क़त्ल सो जाते हैं..
मान-सम्मान,स्वाभिमान बड़े जाने पहचाने से लफ्ज़ हैं
सहते हैं अपमान और सिकुड़ के छोटे हो जाते हैं..
क्या समझूँ मैं तेरी रफ़ाक़तों को ए ज़िन्दगी
ख़्वाहिश नहीं जीने की फिर भी कायल हो जाते हैं
दायरे बहुत छोटे हैं मेरी दुनिया के साहिब
तुम सारे जमाने के हम तुम तक ही ठहर जाते हैं..
" Raag "
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कधीही एखाद्याने आपुलकीच्या नात्याने
केलेल्या मदतीस अथवा दिलेल्या सांत्वनेस
उपकार बोलून त्या व्यक्तीच्या भावना दुखवू नका
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किसी पर उतना ही हक़ जताओ,,,
जितना हक़ उसने तुम्हें दे रखा है...
ज्यादा हक़ जताना भी खुद की मूढ़ता को दर्शाता है☺-
स्वार्थ के लिए या काम के लिए नजदीक आने वाले लोग कुछ दिनो बाद बिछड़ जाते हैं ।।
पर प्यार और अपनेपन के लिए मेल खाने वाले लोग ज़िन्दगी भर साथ देते हैं..!!!-
" द्रौपदी चीर-हरण "
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( कृप्या रचना अनुशीर्षक में पढ़ें ! )-