जीने का बहाना ढूंढ़ते हैं...
" Raag "-
Raag
(Dreama singh)
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Born on 24th november
Post graduate in punjabi...
a fashion designer.. a professional hair d... read more
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Joined 18 August 2019
21 APR AT 20:44
ख़ामोशियों से भरा हुआ है कोई इस कदर जहन में
जैसे भरे पड़े हैं पुरानी डायरी में सूखे हुए गुलाब...
" Raag "-
19 APR AT 23:05
बहुत कुछ कह कर भी
कुछ अनकहा रह जाता है
अधूरी बातें... अधूरे जवाब...
अधूरे ख़्वाबों का मलाल रह जाता है...
" Raag "-
18 APR AT 21:08
मेरे दिल में तेरी मोहब्बत ना पूछ
कोई तारा टूटता हो जैसे किसी चाँद के लिए
" Raag "-
17 APR AT 0:13
मान लो ग़र कल को मैं ना रहूँ...
तुम पढ़ना मेरी नज़्मों के अश'आर
तो जान पाओगे उनसे मिलते
हू ब हू तुम्हारे अक्स को...
और हर लफ्ज़ के पीछे छुपी
अनकही इबारत को...
फिर मलाल हो शायद तुम्हें
कि यकीनन मुझे
सिर्फ़ तुमसे मोहब्बत थी...
" Raag "-
16 APR AT 12:20
धोखा देना तो बहुत पसंद है लोगों को
जब खुद को मिलता है तभी चुभता है...!
" Raag "-
15 APR AT 21:23
तारीफ़ बहुत है उनकी जो मर चुके
नाजाने क्यों चुप हो जाती दुनिया उनके लिए
जो जिंदा हैं अभी...!!
" Raag "
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