माना कि गिले हैं मगर मोहब्बत से बढ़ कर नहीं उसकी एक नज़र मुझे छीन ले जाती है मुझसे..." Raag " -
माना कि गिले हैं मगर मोहब्बत से बढ़ कर नहीं उसकी एक नज़र मुझे छीन ले जाती है मुझसे..." Raag "
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एक प्याला दर्द...पीते हैं रोज घूँट घूँट..." Raag " -
एक प्याला दर्द...पीते हैं रोज घूँट घूँट..." Raag "
ये लिबासों का रुआब हम पर ना आजमाया करें कुछ बात करो.. जुबाँ खोलो..तो पता चले..." Raag " -
ये लिबासों का रुआब हम पर ना आजमाया करें कुछ बात करो.. जुबाँ खोलो..तो पता चले..." Raag "
बड़ी हैरत हुई देख कर आँखें उसकी खामोशियों में शेर पर शेर कहती रहीं..." Raag " -
बड़ी हैरत हुई देख कर आँखें उसकी खामोशियों में शेर पर शेर कहती रहीं..." Raag "
कुछ दर्द पन्नों पर उकर जाएं तो अच्छा वरना काजल हर शाम आँखों में भीगता रहता है..." Raag " -
कुछ दर्द पन्नों पर उकर जाएं तो अच्छा वरना काजल हर शाम आँखों में भीगता रहता है..." Raag "
कभी लफ़्ज़ों में आग कभी होठों पर अंगार अब इससे ज्यादा क्या कहें कातिलों के अंदाज़..." Raag " -
कभी लफ़्ज़ों में आग कभी होठों पर अंगार अब इससे ज्यादा क्या कहें कातिलों के अंदाज़..." Raag "
उठा के हाथ अब और मांगते तो क्या मांगते लबों की दुआ हथेलियों की हिना नहीं होती..." Raag " -
उठा के हाथ अब और मांगते तो क्या मांगते लबों की दुआ हथेलियों की हिना नहीं होती..." Raag "
कब समझता है कोई कर्ब दिल के लोग हँसता हुआ चेहरा देख कर मर जाते हैं..." Raag " -
कब समझता है कोई कर्ब दिल के लोग हँसता हुआ चेहरा देख कर मर जाते हैं..." Raag "
जितना सुलझाती हूँ उतना उलझ जाता है उफ्फ़.. ये तेरे ख्यालों का रेशम...!" Raag " -
जितना सुलझाती हूँ उतना उलझ जाता है उफ्फ़.. ये तेरे ख्यालों का रेशम...!" Raag "
हूँ कौन मैं.. हो कौन तुम..कोई ख्याल गहरा सा जिसे सोचती रहूँ हर पल..या किसी नवजात बच्चे की कोई प्यारी सी मुस्कान..हो किसी बंजर जमीन की प्यास या किसी के होठों में दबी दुआ कोई..कोई तलिस्म टूटता हो अंदर ही अंदर या ख़्वाबों की फेहरिस्त में अधूरी ताबीर कोई...!!" Raag " -
हूँ कौन मैं.. हो कौन तुम..कोई ख्याल गहरा सा जिसे सोचती रहूँ हर पल..या किसी नवजात बच्चे की कोई प्यारी सी मुस्कान..हो किसी बंजर जमीन की प्यास या किसी के होठों में दबी दुआ कोई..कोई तलिस्म टूटता हो अंदर ही अंदर या ख़्वाबों की फेहरिस्त में अधूरी ताबीर कोई...!!" Raag "