QUOTES ON #अन्न

#अन्न quotes

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3 JUN 2018 AT 8:40

अन्न फेंका, दूध बहाया
आज माँ को तूने रुलाया

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4 APR 2021 AT 16:33

रिज़्क़/رزق
subsistence/जीविका

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4 JUN 2020 AT 15:54

....

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15 AUG 2017 AT 22:01

उपवास विचारो का करें,
अन्न का नहीं....!

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29 MAR 2023 AT 19:59

जानते हैं चिरई चुरंग
जानता है मटर का कीड़ा,
जानते हैं
गेंहूॅं में दाॅंत गड़ाए हुये घुन...






(अनुशीर्षक में पढ़ें:—

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28 MAR 2023 AT 17:10

उनसे पूछो जो भूख से तड़पते रहते हैं
दर-दर भटक भीख में एक रोटी का
टुकड़ा मांगते रहते हैं
अन्न का दाना कूड़े में भी ढूढते रहते हैं
बच्चों और परिवार के पेट पालने खातिर
अन्न जुटाने में लगे रहते हैं
न जाने कितने भूख से मर जाते हैं
और वो किसान...
जिनकी आजीविका ही है अन्न
धूप,सर्दी,गर्मी,बरसात सभी मौसमों की मार खा
बिता देते हैं जीवन
और जब प्राकृतिक आपदा में सब नष्ट हो जाता है
वो किसान धराशायी हो
हमेशा के लिए हो जाता है मौन
समझे अन्न की कीमत
अन्न है तो है जीवन

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कठिनाईयों से लड़ता है
फिर भी गुनगुनाता है वो
ईर्ष्या मिलती है उसे बदले में
फिर भी गीत प्रेम के गाता है वो
दुनियावालों को इसकी परवाह नही
फिर भी भार सभी का उठता है वो
तन पर अपने डालता है गमछा
और कपड़े सभी तक पहुँचाता है वो
चाहे आये कितनी ही कपकपी सर्दी
लिए फावड़ा , हल चलाता है वो
अपनी मेहनत से सजाता है धरती को
और सबको मुस्कान दे जाता है वो
अमीरी भरी होती है प्रेम की उसकी कोठरी में
और फिर भी अन्न से स्वयं गरीब रह जाता है वो

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12 DEC 2020 AT 8:29

बुझा चूल्हा , खाली पतिली,,,,
शायद आज वो भूख पका रही है....

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गरीबों को मोहताज अन्न के दाने हो रहे
घर में चूहे जले ज़माने हो रहे ..
बूढ़ी मां पानी पी-पीकर सोती है
छुटकी बिटिया भूख में
बिलख-बिलख कर रोती है
देखो ठेकेदारों के बड़े मयखाने हो रहेे ..
गरीबों को मोहताज़ अन्न के दाने हो रहे ...

( पूरी कविता कैप्शन में ...)👇

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16 JAN 2019 AT 20:38

#अन्न
अपजे जब धरती से क्षुधा हरे मानव की
स्वयं का अस्तित्व मिटा, है कर्म यही अन्न का

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