Ravi Singh "राख़"   (Hurt Heart)
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Joined 25 June 2019


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मेरे किरदार को विस्तार से मत जानिए
जब मैं पौधा था तब भी बरगद ही था।

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आप बेरोजगार होती तो चलता
मैं बेरोजगार हूं, कभी नहीं चल पाएगा।

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पहाड़ कठोर हैं
इसलिए छोड़ जाती हैं नदियां

या नदियां छोड़ जाती हैं
इसलिए पहाड़ कठोर हैं।

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मन का भी अपना ही मन है।

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लेकिन वो ज़िन्दगी दूसरे की है।

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जीवन भर रहेगा तुम्हें।

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दिल लगा कर काम करने में
बस काम होता है,
दिल नहीं लगता।

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कुछ याद नहीं।

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झूठ की नींव पर
खड़ा हुआ एक महल।

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धोखे में जिन्दा रखने से बेहतर है
सच बता कर मार दो।

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