सका
होगा वही जो राम रच रखा-
दुर्घटना हो जाती है हाथ
पर हाथ रख कर मत बैठ
जाना मेरे दोस्त पिक्चर अभी
बाकी है 😌😒😎-
सियासत की गर्मी है उनमें भला उन्हें समझाये कौन?
मजदूर है त्राहि त्राहि भला एहसान जताये कौन?
बिन मजदूर वो कर सकते नहीं कुछ भला ये बात उसे बताये कौन?
वोटों के चलते कर सकते कुछ भी,
है नहीं कोई उनसा नीच उन्हें भला ये एहसास दिलाये कौन?
मर रहे है जो लोग,भला उसे बचाये कौन?
एक अनहोनी(कोरोना)आन पड़ी है,अनहोनी को रोके कौन?-
उस माँ को अब बताये कौन......की
निकला तो था उसका बेटा घर जाने को
पर शायद ये..... मंजूर ना था उसकी किस्मत को-
खड़े हैं सब सर झुकाए मौन,
आगे कदम बढ़ाएं कौन,
साहस,हिम्मत दिखाए कौन,
करते हुए मन में विचार,
देख रहे हैं खड़े अत्याचार,
पहले आवाज उठाए कौन,
करते हुए यही फसाना,
अनहोनी को होते होनी देख रहा है,"सारा जमाना"....।।
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देखो ना मेरी आँखों ने मुझे बरबाद कर दिया,
तुम्हारी नजरों ने ये क्या कर दिया,
अच्छे खासे हँस हँस कर जी रहे थे,
तुम्हारे साथ जिंदगी जीने के ख्वाब ने हमे मौत के कितने पास कर दिया ।-
इस संकट में, हम सब का मसीहा बनेगा कौन।
इस फैलती बीमारी की अनहोनी को रोकेगा कौन।
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