फिरते हैं जो हम पर हक जताते,
सच कहें तो वहीं हमारी उदासी में छिपे दर्द को पहचान नहीं पाते।।
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शुक्रिया...!!
मेरी रंगीन सी ज़िदंगी को रंगहीन बनाने के लिए,
मेरी उन ख्वाबों से भरी खूबसूरत रातों को तन्हाइयों के
आलम तक ले जाने के लिए।।
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बहुत गलतफहमियां हैं तुम्हें जनाब....!!
तुमसे नफरत करना तो बहुत दूर की बात हैं,
हमारे पास तो तुम्हें याद करने तक की फुरसत नहीं हैं।।-
बचपन में खेला करते थे जो कट्टी चुम्मी का खेल,
आज वहीं खेलते है भावनाओं का खेल।।
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कह रही हैं हवाएं आहिस्ता आहिस्ता,
जल्द ही मिलेगा, तुझे तेरी मंजिल का रास्ता,
हंसते हंसते कर जा मुश्किलों के समुंदर को पार,
बन जा तू, खुद ही खुद का पहरेदार।।
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घूमते फिरते पहुंच जाता हूं उसी रास्ते,
इंतजार में तेरे, तुझसे मिलने के वास्ते,
गुलशन में हर रोज खेलते है कई फूल,
देख जिन्हें, जुदाई का दर्द जाता हूं मैं भूल।।
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उसका मोम जैसा दिल अब पत्थर बन गया है,
इंसान से अब वह पत्थर की मूरत बन गया है,
क्योंकि....
यहां अपनों ने ही उसे अपमान कि अग्नि में जलाया है,
सहानुभूति के स्थान पर तिरस्कार का घूंट पिलाया हैं,
उसकी खिलखिलाती ज़िदंगी का कत्ल कर,
आंखों को अश्कों की वर्षा का दृश्य दिखाया हैं,
वक़्त की नजाकत ने उसे बहुत कुछ सिखाया है,
जीवन के नए-नए अनदेखे दृश्यों का अनुभव कराया है,
खंजरों के वार ने उसे सच्चाई से रूबरू कराया हैं,
समय की रफ्तार ने गद्दारों की पहचान का हुनर सिखाया है
तबाही के मंजर ने अपनों के खंजर का एहसास कराया है,
जिंदगी ने उसे बदलती इंसानी फितरत से वाकिफ कराया है।।
-Anjali gour
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तेरा रास्ता देखते देखते हम इतने थक गए,
कि अब तो रास्ते को भी हम पर तरस आ गया।।-
कैसे भुला दू तुम्हें....।।
तुम्हारी यादें कोई तस्वीर थोड़ी हैं कि जला दू जिन्हें...।।
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हम वो हैं जनाब जिसने कभी अपनी गलतियों को नकारना नहीं सीखा..
जो कभी किया नहीं, उसे स्वीकारना नहीं सीखा.....
और तुम तो उस मोहब्बत को स्वीकारने की बात करते हो,
जो हमें कभी हुई ही नहीं।।-