उसका मोम जैसा दिल अब पत्थर बन गया है,
इंसान से अब वह पत्थर की मूरत बन गया है,
क्योंकि....
यहां अपनों ने ही उसे अपमान कि अग्नि में जलाया है,
सहानुभूति के स्थान पर तिरस्कार का घूंट पिलाया हैं,
उसकी खिलखिलाती ज़िदंगी का कत्ल कर,
आंखों को अश्कों की वर्षा का दृश्य दिखाया हैं,
वक़्त की नजाकत ने उसे बहुत कुछ सिखाया है,
जीवन के नए-नए अनदेखे दृश्यों का अनुभव कराया है,
खंजरों के वार ने उसे सच्चाई से रूबरू कराया हैं,
समय की रफ्तार ने गद्दारों की पहचान का हुनर सिखाया है
तबाही के मंजर ने अपनों के खंजर का एहसास कराया है,
जिंदगी ने उसे बदलती इंसानी फितरत से वाकिफ कराया है।।
-Anjali gour
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