(Sonali mandal)✍
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🎓Not a profession... read more
खिलाफ चाहे कितने भी हो,
क्या फ़र्क पड़ता है....
साथ मेरे कौन है,
काफ़ी है...!
जानते मुझे कितने है,
क्या फ़र्क पड़ता है....
समझता कौन है,
काफ़ी है...!
रुलाने वाले चाहें कितने भी हो,
क्या फ़र्क पड़ता है....
आंसू पोछने वाले कौन है,
काफ़ी है...!
(Sonali Mandal)💞-
क्या लिखुं उनके बारे में....जिन्होंने मुझे लिखा
क्या कहु उनके बारे में...जिन्होंने मुझे कहना सिखाया
धुप मे छाव हैं वो...तो कभी सर्दी मे धुप
जन्म माँ ने दिया,तो जिंदगी जीना पिता ने सिखाया
मेरी गलती पर डांटा भी आपने....
और डांटने के बाद प्यार भी दिया आपने
कभी friend बन कर मस्ती की,
तो कभी chef बन कर
अपने हाथों का खाना खिलाया,
कभी Doctor बने,...तो कभी teacher,
कभी electrician,...तो कभी मेरे security guard
और ना जाने क्या-क्या...बन गये आप हमारे लिए...!!!
कभी माँ बन कर...
दुलार दिया...प्यार दिया...
तो कभी Mummy के ना होने पर
मेरी चोटी बनाकर मुझे school के लिए तैयार किया..!!!
मेरी हर पसंद ना पसंद का ख़्याल रखा आपने
जो चहिये वो सिर्फ़ मेरी आँखो मे देख कर अक्सर
आपको पता लग जाया करता है..!!!
कहने को तो बहुत कुछ है...इतना की
जीतना शब्दों को कागज़ कम पड़ जाये
और कलम को स्याही
मेरे idol हो आप...
मेरी दुनिया🌍हो आप...
और
आपका प्यार,आपका बलिदान
शब्दों का मोहताज नहीं...
जिन्हें में अपने शब्दों में बयान कर सकूं...
❤❤❤-
मुबारक हो बरसात के मौसम की पहली बारिश .....
आपको भी और उन्हें भी जो बैठे हुए हैं
माचिस ले के रिशतो मे आग लगाने को....
🙏मुबारक हो !!!!!
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❝खुद को खोजने निकली हूँ ....
अब लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद ही मिलती हूँ ❞-
❝ ये जो लम्बी लम्बी सड़क बनी थी
तुमसे तुम्हारे घर को जोड़ने वाली
जिस पर चलते वक्त तुम्हारे चेहरे की चमक बढ़ जाती थी
वही सड़क जो तुम्हे घर को ले जाती थी
आज उसमे गुरुर सा आ गया है
सफ़र है की खत्म होने को ही नहीं है
पर ए-सड़क तेरा गुरुर किस काम का
क्योंकि.....
गरीब मजदूर के हौसलो ने तो तुझे पैदल ही नाप दिया
और.....
जो न नाप सका और न हरा सका तेरे गुरुर को ...
वो हमेशा के लिए अपनो को छोड़कर चला गया ❞-
❝ वरना लोग आपकी ख़ामोशी को
आपकी कमजोरी समझ लेंगे,
ख़ामोश मत रहो .......
बल्कि लोगों को ही अपनी बातों से ख़ामोश कर दो,
लेकिन जब आप लोगों को अपनी बातों से ख़ामोश कर दोगे.... वो आपको कुछ और ही नाम दे देंगे... लेकिन
कभी कभी ख़ामोश रहना भी अच्छा होता है.... ये शायद हम और आप ना समझे क्योंकि ख़ामोश रहना एक कला है और सोच-समझकर बोलना एक क़ाबलियत की निशानी.....
सब कुछ आपकी समझदारी और समय पे निर्भर करता है,
की
कहा ख़ामोश रहना है और कहा ख़ामोश करना है ❞
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उस माँ को अब बताये कौन......की
निकला तो था उसका बेटा घर जाने को
पर शायद ये..... मंजूर ना था उसकी किस्मत को-