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यूँ तो ज़िन्दगी में अहबाब हमने खोये बहोत
अब आरज़ू है के मरने पे ज़माना रोये बहोत।।-
ख्वाब ,आरज़ू सब मिट्टी
प्यास ,जुस्तजू सब मिट्टी
साज़ ,मौसिकी सब मिट्टी
इश्क़ आशिकी सब मिट्टी
इरादे, कोशिश सब मिट्टी
दिल ए साज़िश सब मिट्टी
कसमें,वो बातें सब मिट्टी
शाम , वो रातें सब मिट्टी
मिट्टी मिट्टी ये सारा मंज़र
हाँ, मैं मिट्टी और तू मिट्टी-
तुम्हारा नाम ..
बहुत अजीब है
ये ज़रा भी मेल नहीं खाता
तुम्हारी शख़्सियत से
तुम्हारा नाम ..
बहुत वाचाल .. बेहद शोखियाँ लिए
उन्मुक्त और हलचल से भरा है
और तुम ..
कोई उदास .. ख़ामोश सी तस्वीर जैसी
..
ज़िन्दगी
नाम से नहीं चलती
ना ही ज़िन्दगी का
कोई वास्ता होता है नाम से
और फिर नाम में क्या रखा है
याद किये जाने के लिए
ज़िन्दगी जीने के तरीक़े ही काफ़ी होते है
बाक़ी नाम से तो एक ढूंढों हज़ार मिलेंगे-
मेरे इश्क की फरमाइशें जो एक दराज़ में बंद थीं
तेरी प्यार भरी दस्तक ने वो बन्द पड़ी अलमारी खोल दिए
उजड़ी पड़ी मेरे बंजर ज़मी में प्यार का उपजना नामुमकिन था
तुम्हारी मुस्कान की बारिश ने मेरी घनघोर ज़िन्दगी में रौशनी भर दिए-
जाने लोग किस बात को खोते -रोते हैं
मेरे बच्चे मुझे सीने में भींच कर सोते हैं
ज़िंदगी जिंदाबाद-
कोई अच्छा ,बुरा नही होता
वक़्त बस 'एक' सा नही होता
तुमको लगने को हम लगेंगे खुदा
पर जो 'दिखता' है वो नही होता
लोग खाते 'तमाम' है ठोकर
पत्थरो में 'ख़ुदा' नही होता
'दाग' लगने लगे है दामन में
इश्क़ अब 'पाक' सा नही होता
वो जो समझा नही वफ़ा को मेरी
हर कोई 'बेवफा' नही होता
कितना मगरूर है 'खुदा' मेरा
लोग कहते है कि नही होता-
मैं उलझनें ज़िन्दगी की सुलझा तो लूँ
पर सोचता हूँ खाली बैठ करूँगा क्या-