ये शहर-ऐ-मोहब्बत नही
ये बेवफाओं की गलियां हैं जनाब ,
यहाँ पर दिल बेच कर
पैसे खरीदे जाते हैं !
( पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 । )
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31 JAN 2018 AT 23:23
27 FEB 2020 AT 1:21
बहुत अमीर होती है ये शराब की बोतलें,
पैसा चाहे जो भी लग जाए सारे ग़म ख़रीद लेतीं हैं-
27 FEB 2020 AT 21:45
बहुत अमीर होती है
ये शराब की बोतलें
पैसा चाहे जो भी लग जाए
पर सारे ग़म ख़रीद लेतीं है-
24 MAY 2021 AT 20:52
ख़रीद लिया करो उस गरीब के गुब्बारे को....
उसकी सांसें भरी होती है 2 से 10 रुपये बनाने में।।।-
19 JUL 2021 AT 14:34
ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से,दिल ज़िद कर रहा था "मुझे इश्क" चाहिए..!!
शशांक भारद्वाज...-
15 JAN 2020 AT 21:48
हमने पढ़ा,समझा,प्यार किया और लिखा उनको शब्दों में ढाल के
ज्यों ही बने वो बेमिसाल कि कोई और खरीद ले गया उनको-
9 APR 2020 AT 13:48
बहुत अमीर होती है,
ये शराब की बोतलें...,
पैसा चाहे जो भी लग जाए,
सारे ग़म ख़रीद लेतीं है...!!-
18 OCT 2019 AT 1:28
कितना गरीब होगा वो इश्क ज़रा सोचो...
जिसे दौलतमंद लोगों ने खरीद लिया।
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