वापस पहुँच गए हैं नौकरी वाले दूर शहर में
अब घर की याद आएगी दिन के हर पहर में।-
चलो मुझमें और तुममें इस 'हम' को ख़त्म करते हैं
इससे मिलते रहने वाले हर 'गम' को ख़त्म करते हैं
अब तुम फिर से 'तुम' हो जाना, मैं 'मैं' हो जाऊँगा
दिल मे ज़ख्म बढ़ाते इस 'मरहम' को ख़त्म करते हैं।-
Hi से शुरू हुई, और हाय पर ख़त्म
न जाने कितनी कहानियाँ, न जाने कितने रिश्ते-
"मैं ख़त्म होती साँस हूँ।
मैं रोज़ जलती आग हूँ।
जो हिस्सों में है बँट गयी
मैं बस एक अभाग हूँ।
मैं टूटती एक शाख हूँ।
मैं अधूरी पावन छाप हूँ।
जो दुख में पलती, जलती है
मैं जाने कैसा पाप हूँ।"
(अनुशीर्षक में)-
अब हर रोज़ पल-पल ख़त्म होता देख रहे हैं, मुझे मेरे अपने
वो भी मुझे देख मेरी ही तरह, नकली मुस्कुराना सीख चुके हैं
- साकेत गर्ग 'सागा'-
ज़िन्दगी अभी जीनी है बहुत
ख़त्म करने की बात न किया करो
हाथों की लकीरें बनी नहीं ठीक से
किस्मत की बात न किया करो
जाओगे बहुत आगे तक
हर काम में दिलचस्पी लिया करो
कोई तुम्हे सताए तो
मोड़ तुम नया लिया करो
होगा नाम तुम्हारा भी दुनिया में
लोगों की बुराई न किया करो
जो दिल को अच्छा लगे वो करो
दुसरों को भी मार्गदर्शन दिया करो
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👪...यादों के रिश्ते...👪
कुछ रिश्ते ख़त्म हो जाने के बाद भी.............
यादों के सहारे जीवित रहते हैं................!
Devoted to love
Asna
28/August/2019-
इंसान के ख़त्म होने से पते लापता नहीं होते
लेकिन
पते लापता होने से इंसान ख़त्म हो जाते हैं-