इतना मासूम है कातिल मेरा,
कि बार बार क़त्ल हो जाने को जी करता है।-
दोस्तों की महफ़िल में चल रही थी क़त्ल की तैयारी हमारी !!!
हम पहुंचे महेफिल में और वो बोल पड़े -
"बड़ी लंबी उम्र है तुम्हारी " !!!-
इश्क़ पर नहीं वस्ल पर लिखती हूँ
मौत पर नहीं क़त्ल पर लिखती हूँ
Ishq par nahi vasl par likhti hun
Maut par nahi katl par likhti hun-
गलतियाँ करने का अवसर बार बार देती हो
ख़ुद ही साँसे देती हो, ख़ुद ही मार देती हो
क्यों चाहती हो मेरे हाथों से क़त्ल करवाना
निहत्था आता हूँ तुम हथियार देती हो-
बेमौत आखिर मार ही डाला उसने...
...गुनाह सिर्फ 'मोहब्बत' का किया हमनें......-
कब से इन्तज़ार में हैं के कोई क़त्ल कर जाए,
लिल्लाह! उनके दीदार बिन अब न जिया जाए..-
यदि क़त्ल करना था तो किसी हथियार से करते
तुमनें तो अपनी आँखों से ही हमें मार दिया-
उस एक रोज़ यूँ किया उसने मासूमियत का क़त्ल
कि आज भी उन सिस्कियों से फ़रिश्ते कांप उठते हैं।
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माफ़ कर देना उनको कोई क़सूर नहीँ
क़त्ल-ए-इश्क़ कोई गुनाह नहीँ...
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