Kaha kajhaha
-
Kathak dance
Writer......✍️
Follow me on Instagram Purva..purvai
तुम वो नही जिसे तुम खुद जानते हो
तुम वो हो जिसे सिर्फ मैं जानती हूं
तुम चाय में पड़ी वो पत्ती हो
जो अपने रंग से मन मोह ले
तुम मेरी कविताओं को
लिखने वाली कलम हो
जो मेरी कविताओं को
और खूबसूरत बना देती है
तुम वो फूल हो जिसे
मैं हर माला में पिरोना चाहती हूं
तुम मेरी ज़िंदगी में वो रंग हो
जो मेरी एक नई तसवीर बना दे
तुम वो साज़ हो जो गीत बना दे
तुम वो किरदार हो जो एक कहानी बना दे
तुम वो नही जिसे तुम जानते हो
तुम वो हो जिसे सिर्फ मैं जानती हूं
Insta:Purva.purvai-
झूठ जिसपर टिका हो रिश्तों का भार
अगर बचती हो किसी की लाज
अगर हो जाती किसी की ज़िंदगी आबाद
तो वो झूठ बोलना हम चाहेंगे-
उनके बूढे हाथो को भी दो वक्त की रोटी कमाना आता है
औऱ आज के युवा कहते है हम बेरोजगार है-
गुलाब हूँ मैं, प्यार का प्रतीक हूँ मैं,
खिलता हूँ सबके दिलों में,
औऱ जब मुरझाता हूँ मैं,
तब अपनी महक छोड़ जाता हूँ मैं ,
हाँ गुलाब हूँ मैं,-
फिर वही बवाल,
फिर से वही सवाल,,
जाना ही था गर ज़िन्दगी से ,,,
तो लौटकर क्यों आए!!
तमन्नाएं रह गई थी रूबरू,
आँखे नम थी,,
फिर भी शुरू थी गुफ्तगू,,,
फिर वही मलाल फिर वही सवाल,,,,
जाना ही था तो लौटकर क्यों आए!!
हर्फ़ -हर्फ़ पूछता बस यही सवाल,
अब शब्दों के बीच भी होता है बवाल,,
स्याही भी थी मुझसे नाराज़ मेरे हाथों,,,
पर रह जाते है अक्सर उसके दाग,,,,
फिर वहीं मलाल फ़िर वही सवाल,,,,,
जाना ही तो लौटकर क्यों आए!!
@purva.purvai-
थोड़ा समय को जाने दो,
सबको भूल तो जाने दो ,
वक़्त के साथ संभल जाने दो!
फ़िर आऊंगी मैं तेरे दरमियां,
किसी खिड़की से तेरे पास ,
रौशनी की तरह!
फ़िर तुम्हारे चेहरे पर,
मुस्कुराहट तो आने दो !
थोड़ा दिल-ए-सब्र तो कर यारा,
थोड़ा बेकल सुकून तो आने दो !
तपिश रहेगी थोड़ी तेज धूप में,
हवाओं में थोड़ी नमी तो आने
Purvai @purva.purvai
-