वो आये और चल दिए....
कैसी मुलाकात थी ये....
न बात हुई, न खामोशी टूटी....
सिर्फ आँखें बोल रहीं थीं.....
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कुछ देर और ठहर जाते........!!!!
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जब मैं नहीं रहूँगी
तब मैं ज़्यादा रहूँगी
अभी मिलती हूँ समय दर समय
तब हर समय तुमसे मिलती रहूँगी-
इस दिल में प्यार था,कितना वो जान लेते तो क्या बात होती,
हमने मांगा था,उन्हें खुदा से वो भी मांग लेते तो क्या बात होती है,-
ख़ुद से मोहब्बत करने का हुनर
ना जाने कब आएगा
दूसरों से मोहब्बत कर
बर्बाद होते तो बहुतों को देखा है-
गर मीठी होती तों
एक अलग ही बात होती
खैर कोई बात नहीं
ये चाशनी मीठी नहीं
तो क्या हुआ
ये आॅ॑सूं तो असली है
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~~~~ काव्यांजलि ~~~~
~~~~अनुशीर्षक में पढ़िए ~~~~-
महफ़िल में एक दूजे से मिलने का एक दौर बढ़ा रहा
मैं सबके साथ होने पर भी उनके साथ तन्हा खड़ा रहा
बढ़ते थे लोग जब मेरी तरफ तआरुफ़ करने के लिए
हर एक पल मेरी तन्हाई के गुमान पर खतरा बढ़ा रहा
बैचैन हुआ जब हर कोई रात के आग़ोश में जाने को
मेरा दिल उस वक्त भी इन हसीन चेहरों से चिढ़ा रहा
लोग सारे मशरूफ़ थे हुस्न-ओ-शबाब और शराब में
मुझ पर सारी रात बिन पिये नशा तन्हाई का चढ़ा रहा
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होती नहीं वो कमज़ोर,
उस में सब सहन करने की ताक़त है।
अपनी शान में आ जाए तो,
हर घर में झांसी की रानी हैं।
पुरूषों से कम नहीं अब महिलाएं,
हर काम में पुरुषो से आगे हैं।
होती नहीं वो कमज़ोर,
उसमें सब सहन करने की ताक़त हैं।
मां,बेटी,or बहु, हर कर्तव्य को निभाई हैं।
अपने बच्चों की रक्षा में,
मां बन कर काल को भी हराई है।
अपने आत्म सम्मान के लिए,
वो दुर्गा का रूप भी कहलाई हैं।
अपने दम पर महिलाओं ने..
भेद भाव करने वाले इस समाज में,
पुरुषो के बराबर ही हक पाई हैं।
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