हाँ, उसके होठों के नीचे एक तिल काला है। जैसे आँसमा में चाँद पर दाग निराला है।। सिर्फ उस दाग को छोड़कर वो बेदाग है। उसका वो तिल उसकी खूबसूरती की मिसाल है।। तारों की चमक भी उसकी चाँदनी से फीकी है। जैसे उसके होठों पर उसके होठों की लाली है। जब अपनी आँखों से नजर का टीका लगाती है। तो चाँद तन्हा और जैसे अँधेरी शब काली होती है।।
अपने होठों से मेरे जिस्म का वो नाप ले गयी लगा कर गले मेरे जिस्म का वो ताप ले गयी कुछ भी न बचा मेरे पास उसे देने को अपने जिस्म में मेरे जिस्म का वो छाप ले गयी