"ड्राइविंग लाइसेंस है?"
"नहीं है हुजूर।"
"हेलमेट?"
"नहीं है हुजूर।"
"इंश्योरेंस?"
"वो भी नहीं है।"
"कागज़ात?"
"कुछ भी नहीं है।"
"तब तो जुर्माना भरना पड़ेगा।"
"पर क्यों? मेरे पास तो बाइक भी नहीं है।"-
वो हर रोज़ मेरा चालान बनाती थी,
मैं हर रोज़ हेलमेट उतार कर जाता था।-
हिंदी दिवस पर हेलमेट को भी
दो नाम दिये हैं - ☺️😊
एक "शीश सुरक्षा कवच"
दूसरा "बीजक बचाव उपकरण"
-
कई जिंदगी अभी अभी बचते देखी हैं
हेलमेट की दुकान पे मैंने भीड़ देखी हैं-
चोराहे के कोने पर दूर से जो देखा,
भागम भाग हो रही थी......
पास जाकर देखा खाली पीली ....
हे_ल_मे_ट के चा_ला_न बना रहे थे !-
कोर्ट पैन्ट की बात पुरानी है,
जीन्स शर्ट में क्या खुब जचते है..
चेहरे पर वो बात नहीं रहती,
हाय! मुंछो में क्या खुब जमते है..
आंखों की चमक फिकी लगती है,
चश्मे में क्या खुब दिखते हैं..
बाईक पर बैठे तो कुछ अधूरा लगता है,
हेलमेट संग पूरे लगते है..
आप लोगों को कुछ ग़लत तो नही लग रहा,
क्योंकि हम अपने पापा की बात कर रहे हैं !😉-
यहां जिंदगी के इस सफर में हर
कदम पर हादसों के अंदेशे है
तो ऐ हाकिम..!
तू हेलमेट ही क्यूं रियाया के पैदा
होने पर ही चालान लगा दे।-
हेलमेट हर मौसम की, मार से बचाता है...
फिर भी ए इंसान इसे, पहनने में इतराता है...!!-
मास्क और हेलमेट लगाने की ये शिक्षा
चालान से बचना है, नहीं अपनी सुरक्षा-