रोज मकान को घर बनते देखा हैं,
मैने उसे अपने आंगन में देखा हैं ।-
Harshal Chandratre HR
(ShayaR HR)
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गुलज़ार होगी सभी महफ़िल तेरे नाम से
मेरी पहचान होगी शायर HR के नाम से ।
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मेरी पहचान होगी शायर HR के नाम से ।
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Joined 3 August 2017
7 MAY AT 9:03
यादगार लम्हों का हिसाब करता हूं,
मैं तुझे मोहब्बत-ए-जिंदगी कहता हूं ।-
3 MAY AT 22:48
बचपन के वो खेल याद आने लगे हैं
दोस्त हमें मोहल्ले में मिलने लगे हैं।-
3 MAY AT 18:00
खूबसूरत किताब लिखने बैठा हूँ,
मैं तुझे आईने में देख बैठा हूँ ।-
1 MAY AT 13:31
सपनों को हकीक़त बनते देखा हैं,
मैने उन्हें अपनी गाड़ी में देखा हैं ।-
26 APR AT 21:58
मुझसे अच्छी मेरी किस्मत लिख जा,
ये विधाता तू भी कभी माँ बन जा ।-
24 APR AT 8:56
फूल देता तुम्हें तो ही सही था साहब,
बात-बात में दिल देना भारी पड़ गया ।-