आदत नहीं बनना था तुम्हें
तुम फिर भी बन गए हो
जरूरत नहीं, पर जरूरी सा
ज़िन्दगी का वो हिस्सा बन गए हो
सुबह के पल पल में हर पल साथ रहते हो
दोपहर की धूप में परछाई बन साथ चलते हो
रात सो जाते हो आंखों में मेरी,
नींदों में ख्वाबों के साथ जागते हो
चढ़ती सांसों में खुशबू की तरह,
रगों में बहते हुए लहू की तरह,
धड़कते दिल की कपकपाहट की तरह,
जिस्म का बेहद जरूरी वो हिस्सा बन गए हो
आदत नहीं बनना था तुम्हें मेरी
हां तुम बन गए हो
जरूरत नहीं, पर जरूरी सा
मेरी ज़िन्दगी का वो हिस्सा बन गए हो
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