बड़ी बेरहमी से रुला गया था कोई शख़्स
आज अपने ही आँसू जिसे खारे लगते हैं
मुद्दत बाद आज बाजार में मिले मोहतरमा
हम भी कह आए जनाब मोहब्बत में हारे लगते हैं-
Aksar is badhaal zindagi ke,
sukoon ki talaash me.
Kabhi shabd haare,
to kabhi himmat..!!
अक्सर इस बदहाल ज़िन्दगी के,
सुकून की तलाश में.
कभी शब्द हारे,
तो कभी हिम्मत..!!-
सब अपनी मनमानी करके, अब मत मुझको समझाइए...!
हारे हुए हैं कुछ रिश्तों से हम
कभी हमारे दिल को भी पूछिए, कि इसे क्या चाहिए...!!-
सब तो लूट चुका था, आंखो में केवल अस्को के धारे थे
कुछ तो था नहीं मगर जो था सब कुछ हारे थे
तुम उस छोर पर थी, हम इस छोर के एक किनारे थे
आखिर कब तक रहते वहां एक दिन तो बिछड़ना ही था
दोष तुम्हरा नहीं देते ,हम तो खुद ही किस्मत के मारे थे-
सपने हमारे हैं तो इन्हें पूरा भी हम ही कर के दिखाएंगे
फिर चाहे लोग और हालात हमारे उलट ही क्यों न चलेंगे-
ना तुम जीते और ना हम हारे
तुम तुम्हारे रास्ते तो हम हमारे-
जिजीविषा:-
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हम हारे कितनी बार
मगर न लड़ना छोड़ा
हम गिरे हज़ारो बार
मगर न चलना छोड़ा
मन में है विश्वास
कि जीतेंगे हम इक दिन
जिजीविषा ही ढाल,
सत्य तलवार हमारी
बना सारथी है अब गिरधरधारी
कौन है माँ का लाल
जो हमें हराये-
नजरों के तेरी , हम मारे हुएं है
इश्क़ में तेरे , हम हारे हुएं है
नजरें मिलाली जिसने भी तुमसे
कसम से फिर वो , तुम्हारे हुएं है-